पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२६०

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के साथ उसने एक वन्दूक और भाला अपने साथ में लिया। उसने और भी कुछ अस्त्रों को अपने साथ लेकर तीर्थ-यात्रा आरम्भ की। अपनी राजधानी से निकलने के समय उम्मेदसिंह ने कुछ विश्वासी सेवकों को अपने साथ लिया और कई वर्ष तक वह भारत के उत्तर मे गंगोतरी, दक्षिण में सेतुबन्ध रामेश्वर और अराकान में गरम सीता कुण्ड एवम् द्वारिका आदि में घूमता रहा। इन दिनों में उसने देश के सभी प्रसिद्ध नगरो और स्थानों का पर्यटन किया। साधु-सन्तों और प्रसिद्ध सन्यासियों से उसने भेंट की। इस प्रकार यात्रा करते हुए वह जब कभी अपने राज्य की सीमा पर आया तो उसके वंश के लोगो के साथ-साथ दूसरे राज्यो के राजपूतों ने उसके पास आकर अपना सम्मान प्रकट किया। यात्रा करते हुए उम्मेद सिंह जिस राजा के राज्य मे पहुँचता, वहाँ के देवताओं का सा सम्मान पाता और वहाँ के राज्य वंश के लोग उसे महलों में ले जाकर अनेक प्रकार से उसका आदर-सम्मान करते । इन दिनों में उम्मेद सिंह सर्वत्र देवता के समान श्रद्धेय समझा जा रहा था और उसकी बातों को सभी लोग बडे ध्यान से सुनते थे। बूंदी-राज्य में शासन करते हुए उसे जितना मान मिला, इन दिनों मे उससे सैकडों गुना अधिक चारों ओर उसे सम्मान मिल रहा था। उम्मेदसिंह अन्त में भारतीय सीमा के बाहर मकराना से निकलकर हिंगलाज नामक स्थान में गया और फिर वह द्वारिका में पहुंचा। वहाँ से लौटने के समय मार्ग में कावा नाम के लुटेरों के एक दल ने उस पर आक्रमण किया। परन्तु उम्मेदसिंह ने लुटेरो के उस दल को पराजित करके उनके सरदार को कैद कर लिया। उस सरदार ने बाद मे कई बार शपथ खायी कि आज से मै कभी तीर्थ यात्रियो पर आक्रमण नही करूँगा। इसके बाद उस सरदार को उम्मेदसिंह ने छोड़ दिया। उम्मेदसिंह बहुत दिनो तक तीर्थो और प्रसिद्ध नगरों में घूमता रहा। उसने अपने राज्य से सम्बन्ध-विच्छेद कर लिया था और इस बात का निश्चय कर लिया था कि अब हम कभी राज्य के शासन से सम्बन्ध न रखेंगे। परन्तु एक घटना ऐसी घटी, जिसके कारण इस निर्णय को आघात पहुँचा और उसे अपने निश्चय मे कुछ परिवर्तन करना पड़ा। वह घटना मेवाड़ और हाडा जाति के इतिहास में पढ़ने को मिलती है। उसमें बताया गया है कि बहुत दिन पहले बम्बावदा की रानी ने चिता में बैठकर सती होने के समय कहा था : "अगर राव और राणा कभी बसन्ती उत्सव में एक साथ शामिल होगे तो भयानक अनिष्ट होगा।" उस सती के कहने के अनुसार बहुत दिनो के बाद जो घटना हुई, वह इस प्रकार है: वीलहठा नामक एक ग्राम मे बहुत से मीणा लोग रहते थे। उस ग्राम का एक बाग बहुत प्रसिद्ध था। उसमें उत्तम श्रेणी के आमों के वृक्ष थे। बूंदी के राजा अजित सिंह ने उस बाग के आसपास एक दुर्ग बनवा दिया। मेवाड़ के सामन्तों ने इसके विरुद्ध होकर लुटेरों के एक दल को भड़काया और वह दल वीलहठा ग्राम पर आक्रमण करने के लिए तैयार हुआ। यह समाचार अजितसिंह को मिला। उसने ग्राम की रक्षा के लिये अपनी एक सेना वहाँ के दुर्ग 254