पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२७७

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युद्ध छोड़ कर भागी। उस भगदड़ में आमेर राज्य की पंचरंगी पताका कोटा की सेना के अधिकार मे आ गई। झटवाड़ा के इस युद्ध में जयपुर राज्य की शक्ति निर्बल पड़ गयी। इसके बाद वहाँ के राजा ने हाड़ा लोगो पर आक्रमण करने का साहस नहीं किया। हाड़ा वंश के कवि ने इस युद्ध को देखकर प्रशंसा करते हुए हाड़ा राजपूतों की वीरता का ओजस्वी शब्दों मे उल्लेख किया है। हाड़ा राजपूत उन कविताओं को अब तक स्वाभिमान के साथ गाया करते हैं। __ अपनी स्वाधीनता और मर्यादा की रक्षा करने के लिए झटवाड़ा के युद्ध में हाड़ा राजपूतों ने जिस प्रकार युद्ध करके अपने प्राणों को उत्सर्ग किया था, उनके स्मारक में उस वंश के लोग प्रति वर्ष एक उत्सव मनाया करते हैं। उस उत्सव में आमेर का एक दुर्ग बनाया जाता है और उत्सव के दिन उस दुर्ग का विध्वंस किया जाता है। झटवाड़ा के युद्ध के बाद थोड़े ही दिनों में छत्रसाल की मृत्यु हो गयी। उसके कोई लड़का न था। इसलिए उसका छोटा भाई कोटा के सिंहासन पर बैठा। 271