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लिए जालिम सिंह के लड़कों और उसके उत्तराधिकारियों के अधिकार में रहेगा। इन स्वीकृत शतों को जालिम सिंह के पास भेज दिया गया था। इसके बाद हमें कोटा राज्य के उन लोगों का उल्लेख करना है। जिनका भाग्य कोटा राज्य के भविष्य से सम्बन्ध रखता था। महाराव उम्मेदसिंह के तीन लडके थे। किशोर सिंह,विशन सिंह और पृथ्वीसिंह। उत्तराधिकारी राजकुमार किशोरसिंह की अवस्था उस समय चालीस वर्ष की थी। वह स्वभाव का विनम्र और शीलवान था। धार्मिक बातों में उसकी अधिक रुचि थी और राज्य के मामलों में वह बहुत कम सम्बन्ध रखता था। उसके मनोभावों में जातीय गोरव था और वंश की मर्यादा को वह सदा उन्नत रखने का विचार रखता था। उसके जीवन में पिता के रहन-सहन का पूरा प्रभाव पड़ा था। उसको जो शिक्षा मिली थी, उसने उसे धार्मिक, शिष्ट और नम्र बना दिया था। वह अपने पिता का अनुयायी था, वह जालिम सिह को नाना साहब कहा करता था। अब वह सब-कुछ समझता था। लेकिन पिता की तरह राज्य के शासन का भार नाना साहब के अधिकार में रहने मे वह संतोप अनुभव करता था। विशनसिंह अपने बड़े भाई किशोर सिंह से तीन वर्ष छोटा था। आरम्भ से वह जालिम सिंह के सम्पर्क मे रहा था और जालिम सिंह स्वयं उसको बहुत प्यार करता था। किशोर सिंह की तरह वह भी विनम्र, सुशील और अच्छे स्वभाव का था। राजकुमार पृथ्वीसिंह की अवस्था तीस वर्ष से कम थी, जीवन के आरम्भ से ही उसमें राजपूतोचित गुण थे और अस्त्र-शस्त्र चलाने का वह शौकीन था। वयस्क होने पर वह जालिम सिंह के साथ ईर्ष्या करने लगा। उसके पिता ने जालिम सिंह पर जो शासन का कुल भार छोड़ रखा था, उसे उसने पसन्द नहीं किया और इस प्रकार की बातों के प्रति उसका असन्तोप बढ़ने लगा। आरम्भ से तीनो भाई एक साथ प्रेमपूर्वक रहा करते थे। लेकिन जालिम सिंह के उत्तराधिकारी लड़के के साथ विशन सिंह के अत्यधिक स्नेह और धैर्य को देख कर कुछ लोग संदेह पैदा करने लगते थे। प्रत्येक राजकुमार को पच्चीस हजार वार्पिक आमदनी की भूमि का अधिकार मिला था। जालिम सिंह के दो लडके थे। बड़े लडके का नाम माधव सिंह था, वह जालिम सिंह की विवाहिता स्त्री से पैदा हुआ था और छोटे लडके का नाम गोवर्धनदास था, वह जालिम सिंह की अविवाहिता स्त्री से पैदा हुआ था। जालिम सिंह छोटे लड़के को अधिक प्यार करता था और उसी को वह अपना उत्तराधिकारी मानता था। उस समय माधव सिंह की अवस्था छियालीस वर्ष की थी। वह देखने से ही आलसी और निकम्मा मालूम होता था। उसका व्यवहार अहंकार से भरा हुआ था। महाराव उम्मेद सिह उसका बहुत आदर करता था और झगडों के समय अपने लड़कों की अपेक्षा उसका अधिक पक्षपात करता था। यही कारण था कि जालिम सिह ने जव राजधानी छोड कर छावनी मे रहना आरम्भ किया था तो उस समय माधव सिह को उसके पैतृक अधिकार पर सेनापति का पद दिया गया। इसके बाद सेना का वेतन देना और इस प्रकार के दूसरे कामो का करना उसी के अधिकार में आ गया। इसलिए उसने इस अवसर का लाभ उठाकर अपने पास धन सग्रह करना आरम्भ कर दिया। वह जालिम मिह का उत्तराधिकारी महाराव उम्मेद सिंह का सम्मानित ओर राज्य का सेनापति था, इसलिए उसके 307