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पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३९३

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. राजा मानसिंह की इस वात को मुनकर यह जरूरी हो गया कि धौंकल सिंह की माता इस बात को स्वीकार करे कि उससे उत्पन्न होने वाला वालक राजा भीमसिंह से पैदा हुआ है। इस वात के स्पष्टीकरण के लिये जव रानी के पास समाचार पहुँचा तो उसने बड़ी दूरदर्शिता से काम लिया और अपने वालक के प्राणों की रक्षा के लिये उसको स्पष्ट न करना ही आवश्यक समझा। बल्कि उसने इस बात को स्वीकार नहीं किया कि उससे कोई वालक पैदा हुआ है। रानी के इस निर्णय में पोकरण के सामन्त का पड़यंत्र था। जव राज्य के सामन्तों रानी का उत्तर सुना तो उनको उसका विश्वास नहीं हुआ। लेकिन जब रानी स्वयं इस बात को स्वीकार नहीं करती है तो चुप हो जाने के सिवा वे लोग कर ही क्या सकते थे। जिन सामन्तों ने राजा मानसिंह से धौंकल सिंह की वात कही थी, उनको खामोश हो जाना पड़ा। रानी के इनकार करने पर मानसिंह को बड़ी प्रसन्नता हुई। मारवाड़ राज्य में कई तरह से परिस्थितियाँ वदलीं। राजनीतिक सत्ता कमजोर पड़ने लगी। राज्य में लूट-मार अधिक बढ़ गयी। बाहर से आकर लुटेरों ने राज्य को लूटना आरम्भ किया और राजा मानसिंह को सिंहासन से उतार दिया। लेकिन पोकरण के सामन्त सवाई सिंह को मारवाड़ के राज्य-सिंहासन पर धौंकल सिंह को विठाने में सफलता न मिली। उसने धौंकल सिंह को जयपुर राज्य के खेतड़ी नामक प्रदेश के स्वतन्त्र सामन्त के पास इसलिये भेज दिया कि वहाँ पर वह वालक सुरक्षित रह सकेगा। इसके कुछ दिनों के बाद मेवाड के राणा की राजकुमारी कृष्णा के विवाह के सम्बन्ध मारवाड़ और जयपुर में भीषण युद्ध हुआ। मामन्त सवाई सिंह ने उस अवसर का लाभ उठाने की कोशिश की। कृष्णा कुमारी के साथ विवाह करने के लिए मानसिंह और जयपुर के राजा का जो युद्ध हुआ था, उसको पहले लिखा जा चुका है। उस युद्ध मे उत्तरी भारत के लगभग सभी राजा लोग जो शामिल हुये थे, उसका कारण सवाई सिंह का पड़यंत्र था। राजा मानसिंह ने सुन्दरी कृष्णा कुमारी के साथ किसी भी दशा में विवाह करने की प्रतिज्ञा की थी, इसलिये मारवाड की प्रजा असंतुष्ट हो गयी थी। बड़ी बुद्धिमानी के साथ इस अवसर का लाभ सवाई सिंह ने उठाया और उसने जब समझा कि मारवाड़ की प्रजा राजा मानसिह के विरुद्ध है तो उसने बालक धोकल सिंह के सम्बन्ध मे चोपणा की और इस वात को जाहिर किया कि धौकल सिंह, भीमसिंह का बालक है और इसलिये वह मारवाड़ राज्य का उत्तराधिकारी है। सवाई सिंह की इस घोपणा को सुनकर समस्त राजा लोग धौंकल सिंह के पक्ष में हो गये और उसका क्या परिणाम हुआ, इसे विस्तार पूर्वक लिखा जा चुका है। उन्हीं दिनों में सवाई सिंह मारा गया था और गुरुदेव देवनाथ का सर्वनाश अमीर खाँ के सिपाहियों के द्वारा हुआ। प्रारम्भिक दिनों में राजा मानसिंह को, मारवाड़ राज्य के प्रमुख व्यक्तियों, राजवंश के लोगों और सामन्तों से जो विपदायें मिली थीं, मानसिंह ने उन सब का पूरा-पूरा वदला लिया। उसका सबसे बड़ा शत्रु भीमसिंह विप के द्वारा मारा गया था। इसके बाद उसने वडी वुद्धिमानी . 387