इस स्थान के स्मारको के बीच में अत्यन्त रमणीक स्तम्भ बने हुए हैं। उनके द्वारा यह स्थान अत्यन्त सुहावना और आकर्षक हो गया है। इन स्मारकों में कुछ की बनावट मिश्र देश की शिल्प कला का स्मरण दिलाती है। यहाँ के दृश्य को देखते हुए में मारवाड़ के बीते हुए इतिहास के सम्बन्ध में बहुत सी बाते सोचता रहा। इन स्मारकों को देखकर सहज ही कोई भी विद्वान इस बात का अनुमान लगा सकता है कि मारवाड़ राज्य में किस प्रकार के वीरों ने जन्म लिया था। सही बात यह है कि संसार के उस समय का-जब कि राजस्थान में और विशेष कर मेवाड़ तथा मारवाड़ में इस प्रकार के वीर उत्पन्न हुए थे-इतिहास देखा जाए ' तो कहीं पर किसी भी देश में इस प्रकार के शूरवीरो का इतिहास पढ़ने को न मिलेगा, जैसा कि यहाँ के वीरो का इतिहास पढ़ने को मिलता है। यहाँ पर हम मेवाड़, मारवाड और तैमूर वंश के कुछ प्रसिद्ध ऐतिहासिक वीरात्माओ के नाम नीचे दे रहे हैं, उनके मुकाबले में शूरवीर, राजनीतिज्ञ और रण कुशल कब किस देश में उत्पन्न हुए, क्या कोई बता सकता है? यहाँ पर जो नाम हम देना चाहते हैं, वे इस प्रकार हैं: मेवाड़ मारवाड़ दिल्ली राणा सॉगा राव मालदेव बाबर और शेरशाह राणा सांगा राव सूरसिंह हुमायूँ राणा प्रतापसिह राजा उदयसिंह अकवर राणा अमर सिंह राजा गजसिंह जहाँगीर (प्रथम) शाहजहाँ राणा करण सिंह राणा राजसिंह राजा यशवन्त सिंह औरंगजेब राणा जयसिंह राजा अजित सिंह फर्रुखसियर के बाद राणा अमर सिंह दिल्ली के सिहासन के (द्वितीय) लिये समस्त प्रतिद्वन्दी पहले मारवाड़ के राजाओं की उपाधि राव थी। उदय सिंह से लेकर यशवन्त सिह और अजित सिंह आदि राजा बडे शूरवीर थे। पथ-प्रदर्शन के लिये मेरे साथ राजा का एक समझदार अनुचर आया था। मैंने उससे पूछा किः अजित सिंह की तरह उसके शूरवीर लडकों के स्मारक कहाँ है? उसने मेरे प्रश्न को सुनकर दो स्मारको की तरफ संकेत किया। मैंने उन दोनो स्मारको की तरफ देखा। मुझे उन दोनों मे और अन्य स्मारको में बडा अन्तर दिखायी पडा। मै सोचने लगा, इस अन्तर का कारण क्या है? राजा के अनुचर के साथ में उस स्थान पर बाते करता रहा। अभय सिह ने अपने पिता की हत्या की थी। इसलिये वह अपराधी था। परन्तु उसका शासन अच्छा गुजरा था और - 394
पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३९८
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