अत्याचार कर रहे थे। इसीलिए जैसलमेर राज्य के बीरमपुर के सुन्दरदास और दलपति के सामन्त ने उनके अत्याचारों का फल देने का निश्चय किया और अपनी-अपनी सेनायें लेकर दोनों सामन्तों ने बीकानेर राज्य की सीमा के जाजू नामक नगर पर आक्रमण किया और उसको लूट लेने के बाद उस नगर में आग लगा दी। काँधलोत राठौरों ने यह देखकर जैसलमेर वालों से बदला लेने की तैयारी की और जैसलमेर की सीमा के गाँवों और नगरों पर आक्रमण करके अपने नगर जाजू का वदला लिया। इस प्रकार के संघर्ष के परिणामस्वरूप दोनों राज्यों के बीच तनातनी बढ़ती गयी और अन्त में दोनों राज्यों के बीच कठिन संग्राम हुआ। उस युद्ध में बीकानेर के दो सौ राठौर मारे गये और उस राज्य की सेना पराजित होकर भाग गयी। अपने राज्य के सामन्तों की विजय को देखकर रावल अमर सिंह को बड़ी प्रसन्नता हुई। उन दिनों में बीकानेर का राजा दिल्ली के बादशाह की तरफ से दक्षिण गया हुआ था। उसने सुना कि जैसलमेर के सामन्तों ने बीकानेर के दो सौ आदमियों को मारकर बाकी सेना को भगा दिया है तो वह बहुत क्रोधित हुआ और उसने अपनी राजधानी में संदेश भेजा कि राज्य के समस्त राठौर जैसलमेर के साथ युद्ध करने के लिए तैयार हों। अनूपसिंह का यह आदेश मिलने पर बीकानेर राज्य में मुनादी करवा दी गयी। उसके अनुसार राज्य के राठौर युद्ध के लिए तैयार होकर राजधानी में एकत्रित होने लगे। इन्हीं दिनों में राजा अनूप सिंह ने राठौरों की सहायता के लिए हिसार से पठानों की एक फौज भेजी। जैसलमेर में रावल अमर सिंह को बीकानेर की इस तैयारी का समाचार मिला। इसलिए उसने बीकानेर के राठौरों के साथ युद्ध की तैयारी की। उसने भाटी सेना को भेजकर बीकानेर के नगरों पर आक्रमण करने की आज्ञा दी। भाटी सेना ने राठौरों पर आक्रमण करके और उनको पराजित करके पूगल नगर अपने राज्य में मिला लिया। इसके बाद उस सेना ने बाडमेर तथा कोटडा के सामन्तों को जैसलमेर की अधीनता स्वीकार करने के लिए विवश किया। सन् 1702 ईसवी में अमर सिंह की मृत्यु हो गयी। उसके आठ लड़के थे। बड़े लडके का नाम यशवंत सिंह था। शेष सात लड़कों में केवल हरीसिंह के नाम का उल्लेख मिलता है। यशवंत सिंह के एक लड़की थी। उसका विवाह मेवाड़ के राजकुमार के साथ हुआ। अमरसिंह की मृत्यु के पश्चात् जैसलमेर की अवनति आरम्भ हुई। यहाँ के राजाओं ने अपनी शक्तियों के द्वारा राज्य के गौरव की रक्षा की थी और रावल अमरसिंह ने उसको सुरक्षित बनाये रखने की चेष्टा की। उसके परलोक यात्रा करने पर राज्य की शक्तियाँ एक साथ ही क्षीण हो गयीं। उस दुर्बलता का बीकानेर के राठौरों ने लाभ उठाया और उन लोगों ने आक्रमण करके पूगल, बाडमेर, फलोदी और दूसरे अनेक नगरों को छीनकर बीकानेर राज्य में मिला लिया। इन्हीं दिनों में शिकारपुर के एक अफगानी दाऊद खाँ ने जैसलमेर के नगरों पर आक्रमण किया और उन पर अपना अधिकार कर लिया। रावल अमरसिंह के बाद जैसलमेर 43
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