पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/४८

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प्रपत्र तथा दयालदास का बेटा सवल सिंह वहाँ के सिंहासन पर बैठा। रामचन्द्र स्वभाव से जितना ही उपद्रवी और अयोग्य था, सबल सिंह उतना ही योग्य और सुशील था। इसलिए राज्य की प्रजा सवल सिंह के पक्ष में थी और उसी को राजा बनाना चाहती थी। सवल सिंह आमेर के राजा का भाञ्जा था। वह राजा आमेर के संरक्षण में यवनों की राजधानी पेशावर राज्य में एक पदाधिकारी था। किसी समय पहाड़ों पर रहने वाले अफगानी लुटरों ने यवन-सम्राट का खजाना लूटने की चेष्टा की थी। परन्तु साहसी सवल सिंह ने उनको असफल बना दिया था और उसके कारण सम्राट को कुछ भी हानि न हुई थी। उस समय से सम्राट सवल सिंह का बहुत सम्मान करने लगा था। अपने स्वभाव, व्यवहार और दूसरे गुणों के कारण सवल सिंह ने अन्य राजाओं से भी आदर प्राप्त किया था। जैसलमेर के सिंहासन पर सवल सिंह के बैठने के जो कारण थे, उनमें एक यह भी प्रधान कारण था कि उसकी योग्यता, सज्जनता और व्यावहारिकता के कारण हिन्दू राजाओं से लेकर यवन सम्राट तक-सभी ठससे प्रसन्न और प्रभावित थे। इसलिए मनोहरदास के बाद जब रामचन्द्र सिंहासन पर बैठ गया था, उस समय यवन वादशाह ने जोधपुर के राजा जसवन्त सिंह को आदेश दिया था कि आप तुरन्त रामचन्द्र को उतार कर सवल सिंह को वहाँ के सिंहासन पर विठावें। राजा जसवन्त सिंह ने यही किया। उसने सवल सिंह को जैसलमेर के सिंहासन पर विठाने के लिए सेनापति नाहर खाँ के साथ एक सेना भेजी और सबल सिंह ने वहाँ के सिंहासन पर बैठकर सेनापति नाहर खाँ को सदा के लिए पोकर्ण का राज्य इनाम में दे दिया। उसी समय से पोकर्ण जैसलमेर से पृथक् होकर जोधपुर राज्य में शामिल हो गया। सेनापति नाहर खाँ को जो पोकर्ण राज्य दिया गया, ठसी से जैसलमेर राज्य का पतन आरम्भ हुआ और उसके पश्चात् लगातार उस राज्य के नगर उससे निकलते गये। भारत में बादशाह वावर की विजय के पहले जैसलमेर राज्य की सीमा उत्तर में गारा नदी तक थी, पश्चिम में मेहराणा अथवा सिंधु नदी तक, पूर्व और दक्षिण में वीकानेर और मारवाड़ तक थी। लगभग दो सौ वर्षों से जैसलमेर राज्य के नगर और ग्राम बीकानेर और मारवाड़ राज्य में शामिल होते चले आ रहे थे। रावल सबल सिंह ने सिंहासन पर बैठकर बड़ी योग्यता के साथ अपने राज्य का शासन किया। रावल सवल सिंह के परलोकवासी होने पर उसका लड़का अमरसिंह सिंहासन पर वैठा और उसने उसके बाद वलोचियों के साथ युद्ध करके विजय प्राप्त की। उसका राज तिलक ठसी युद्ध-क्षेत्र में हुआ था। सिंहासन पर बैठने के बाद अमर सिंह ने अपनी लड़की के विवाह के लिए राज्य की प्रजा से धन लेने की चेष्टा की। परन्तु उसके मंत्री रघुनाथ ने इसका विरोध किया। इसलिए अमर सिंह ने ठसे मरवा डाला। इसके थोड़े दिनों के बाद राज्य के उत्तरी और पूर्वी स्थानों पर चना राजपूतों के अत्याचार फिर से बढ़ने लगे। यह देखकर रावल अमर सिंह ने अपनी सेना लंकर ठनको इस प्रकार पराजित किया कि वे भविष्य में फिर इस प्रकार उपद्रव न कर सकें। कुछ दिनों के उपरान्त जैसलमेर और बीकानेर के सामन्तों में संघर्ष पैदा हुआ। बीकानेर के कांधलोत राठौर बहुत दिनों से जैसलमेर के नगरों और ग्रामों पर अनेक प्रकार के 1 42