-- जोरावर सिंह के निर्भीक शब्दों को सुनकर मेहता सालिम सिंह भयभीत हो उठा। यह सोचने लगा कि राज दरबार में जोरावर सिंह जैसे शक्तिशाली सामन्त का इस प्रकार कहना मेरे लिए किसी प्रकार अच्छा नहीं है। इसलिए वह किसी पड़यंत्र के द्वारा जोरावर सिंह को मार डालने का उपाय सोचने लगा। जोरावर सिंह का एक भाई था। खेतसी उसका नाम था। सालिम सिंह ने खेतसी की स्त्री के साथ बहन का सम्बन्ध कायम किया और उसे अपने यहाँ बुलाकर उसने कई बार सम्मानित किया। उसको प्रभावित करने के बाद सालिम सिंह ने एक दिन अपने यहाँ उससे बड़ी बुद्धिमानी के साथ बात की और कहा- "हमारी इच्छा तुम्हारे पति खेतसी को प्रधान सामन्त बनाने की है। क्या तुम इस बात को पसन्द करोगी?" मंत्री सालिम सिंह की बात को सुनकर खेतसी की स्त्री बहुत प्रसन्न हुई और जब उसने इसे स्वीकार कर लिया तो सालिम सिंह ने सावधानी के साथ उसको समझाते हुए कहा- "इसके लिए में जैसा तुम्हें बताऊँ, तुम्हें करना पड़ेगा।" वह स्त्री उत्सुकता के साथ सुन रही थी। सालिम सिंह ने गम्भीर होकर फिर उससे कहा- "मैं जैसा चाहता हूँ, तुम्हें भी उतना ही उसके लिए तैयार होना चाहिये। साहस से तुमको काम लेने की आवश्यकता है। इसके लिए मैं तुम्हें एक चीज दूंगा और तुम्हे उसका तरीका बताऊंगा। तुम इस चीज को जोरावर सिंह के भोजन में मिला देना। उसे खाकर जोरावर सिंह मर जाएगा। बस तुम्हारा रास्ता साफ हो जाएगा। उसके बाद मैं तुम्हारे पति खेतसी को इस राज्य का प्रधान सामन्त बना दूंगा।" अपने पति के गौरव को बढ़ाने के लिए उस स्त्री ने भोजन में सालिम सिंह का दिया हुआ विप मिलाकर जोरावर सिंह को खिला दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गयी। उसके बाद खेतसी जिश्चियाली का प्रधान सामन्त बना दिया गया। मन्त्री सालिम सिंह के सामने जो संकट और भय था, जोरावर सिंह के मर जाने पर वह खत्म हो गया। अब उसका किसी प्रकार की चिंता न रह गयी। इसलिए उसने शासन में अपना एक मात्र आधिपत्य आरम्भ किया। उसके कार्यों से राज्य का कोई सामन्त प्रसन्न न था। परन्तु रावल मूलराज के चुप रहने के कारण कोई उसका विरोध नहीं करता था। सालिम सिंह के बढ़ते हुए अत्याचारों को देख कर जिन सामन्तों से नहीं रहा गया और उन्होने उसके विरुद्ध सिर उठाने का साहस किया, सालिम सिंह ने सहज ही अपनी कूटनीति के द्वारा उनको इस संसार से विदा कर दिया। इस प्रकार जो सामन्त मारे गये, उनमें बारू और डाँगरी आदि के सामन्त प्रमुख थे। जोरावर सिह के मर जाने के बाद राज्य में खेतसी को प्रधान सामन्त का पद मिला था, इस पद का वह अधिकारी कसे हुआ, इस बात को वह स्वयं कुछ न जानता था। यह तो किसी से छिपा न था कि सिंह को विप दिया गया। परन्तु वह विप सने दिया और उसमें किसका पड़यंत्र था, यह किसी को जाहिर न हुआ। जोरावर सिंह के स्थान पर खेतसी प्रधान सामन्त बनाया गया था। इसलिए बड़े भाई जोरावर सिंह के कर्तव्यों का उत्तरदायित्व खेतसी पर आ पड़ा। इस कर्त्तव्य पालन के कारण ही सालिम सिंह के साथ खेतमी का विवाद हो गया। . 50
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