पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/१०

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1 किया है। लेकिन पक्षपात अधिक देखने को मिलता है। इसके अपराधी इस देश के कवि ही नहीं माने जा सकते । दूसरे देशों में भी इतिहास के सम्बन्ध में कुछ इसी प्रकार के पक्षपात देखने को मिलते हैं। यहाँ पर इस विषय में अधिक लिखने की आवश्यकता नहीं है ऐतिहासिक सामग्री के लिये इस देश में दूसरे साधन भी हैं। भौगोलिक वृत्तान्त, काव्यमय राजाओं के चरित्र, घटनाओं को लेकर लिखे गये लेख, विभिन्न प्रकार की धार्मिक पुस्तकें भी इस कार्य में सहायता करती हैं । ऐतिहासिक काव्य ग्रन्थ, स्मृति पुराण, टिप्पणियाँ, जन श्रुतियाँ, शिलालेख, सिक्के और ताम्रपत्र जिनमें बहुत सी ऐतिहासिक बातों के उल्लेख मिलते हैं-इस कार्य में सहायक साबित होते हैं। परन्तु इस प्रकार के सभी साधन इतिहास के अन्वेषक से बहुत सावधानी चाहते हैं। इस बात को कभी न भूलना चाहिये कि आज का इतिहास, साहित्य में अपना अलग से स्थान रखता है। भारतवर्ष में पैर रखते ही मैंने इस बात का निर्णय कर लिया था कि एक ऐसी जाति के सम्बन्ध में, जिसका ज्ञान योरोप के लोगों को बिल्कुल नहीं के बराबर है, मैं ऐतिहासिक खोज का काम अवश्य करूँगा। अपने इस निर्णय के अनुसार यहाँ आते ही मैंने अपना कार्य आरम्भ कर दिया था। पूरे दस वर्षों तक एक जैन विद्वान की सहायता लेकर उन पुस्तकों की सामग्री लेने का काम करता रहा, जिनमें राजपूतों के इतिहास की कोई भी घटना मिल सकती थी। यह कार्य साधारण न था और उसके लिये अधिक से अधिक परिश्रम की आवश्यकता थी। इस कार्य और परिश्रम में मुझे सुख मिलता था। लेकिन मेरे स्वास्थ्य ने अधिक साथ न दिया और मेरी रूग्णावस्था ने इस देश से लौट जाने के लिये मुझे मजबूर किया। यदि यह स्वीकार करना पड़े कि कवियों ने अपने वर्णन में अतिशयोक्ति से काम लिया है तो उसके साथ यह भी स्वीकार करना पड़ेगा कि उस राजपूत जाति का वैभव निश्चित रूप से तरक्की पर रहा होगा। अनेक शताब्दियों तक एक वीर जाति का अपनी स्वतन्त्रता के लिये लगातार युद्ध अपने पूर्वजों के सिद्धान्तों को रक्षा के लिये प्राणोत्सर्ग करना और अपनी मान-मर्यादा के लिये बलिदान हो जाने की भावना रखना, मनुष्य के जीवन की ऐसी अवस्था है, जिसको देखकर और सुनकर शरीर रोमांचित हो जाता है। इस देश के ऐतिहासिक स्थानों में पहुँचकर जो कुछ सुना और समझा है, यदि उसका सही-सही चित्र खींच कर मैं अपने पाठकों के सामने रख सकूँ तो मुझे विश्वास है कि मैं अपने देश वालों की उदासीनता को दूर कर सकूँगा, जिसके कारण वे देश के इतिहास को जानने और खोजने की चेष्टा नहीं करते । इस देश के प्राचीन नगरों के खंडहरों के बीच में बैठकर मैंने उनके विध्वन्स होने की कहानियाँ ध्यान देकर सुनी हैं और उनकी रक्षा करने के लिये करते रहना,