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पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/१५२

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- उन तीनों लड़कों में साँगा वड़ा था और राणा का वह पहला पुत्र था और वही राणा का उत्तराधिकारी था। उस छोटी अवस्था में लड़कों का झगड़ा इस बात पर था कि चित्तौड़ का उत्तराधिकारी कौन है । प्रत्येक अपने आपको उस राज्य का अधिकारी समझता था। इस झगड़े के फलस्वरूप, साँगा को राज्य छोड़कर भागना पड़ा। पृथ्वीराज को राणा ने अपने यहाँ से निकाल दिया और जयमल जान से मारा गया। भाइयों के आपस के झगड़े का यह परिणाम निकला। इस दुष्परिणाम को रोकने के लिये राणा रायमल के पास कोई उपाय बाकी नहीं रह गया था। राजपूतों के चरित्र को देखकर सहज ही यह स्वीकार करना पड़ता है कि शत्रुओं से युद्ध न करने के दिनों में वे स्वयं एक दूसरे के शत्रु बन जाते हैं। दोनों भाई एक दिन चाचा सूरजमल के पास एकान्त में बैठकर मेवाड़ के उत्तराधिकार के सम्बन्ध में बातें करने लगे। सूरजमल ने दोनों की बातों को सुना और समझा कि इनमें दोनों ही अपने आपको उत्तराधिकारी समझते हैं। बातचीत के सिलसिले में सांगा ने कहा-“अपने पिता का मैं बड़ा लड़का हूँ और न्याय से मैं ही अपने पिता का उत्तराधिकारी पृथ्वीराज ने साँगा की इस बात को मंजूर नहीं किया। दोनों में विवाद बढ़ने लगा। सूरजमल किसी प्रकार का निर्णय करने में अपने आपको असमर्थ पाता था। वह दोनों की बात सुन रहा था। परन्तु साफ-साफ कुछ कह न सकता था। पृथ्वीराज और सांगा का विवाद बढ़ गया और उसका परिणाम यह हुआ कि पृथ्वीराज ने अपनी तलवार निकालकर तेजी के साथ साँगा पर आक्रमण किया। यह देखते ही सूरजमल दौड़ पड़ा और उसने किसी प्रकार रोक-थाम की परन्तु उससे झगड़ा रुका नहीं । साँगा पृथ्वीराज की तलवार से जब बच गया तो पृथ्वीराज ने सूरजमल को ललकारा। उस समय भी सूरजमल ने दोनों को रोकने की कोशिश की, परन्तु सब बेकार हुई। दोनों एक दूसरे का सर्वनाश करने की चेष्टा करने लगे। दोनों के शरीर में तलवारों के वहुत-से जख्म हो गये। सांगा के शरीर में तलवार के जोरदार पाँच आघात लगे। वह तुरन्त भागा। उसकी एक आंख भीषण आघात से सदा के लिये नष्ट हो गई। साँगा भागकर सिवान्ती नामक स्थान पर पहुँचा। वहाँ पर उसे वीदा नाम का एक राजपूत मिला। वह राजपूत उदावत वंश में पैदा हुआ था और इस समय अपने घर से निकल कर कहीं बाहर जाने को तैयार था। अकस्मात अपने सामने रक्त में डूबे हुए सांगा को देखकर वह घबरा उठा। उसी समय जयमल ने वहाँ पहुँच कर साँगा पर अपनी तलवार का वार किया। साँगा की रक्षा करने के लिये बीदा राजपूत ने जयमल का सामना किया। वह जयमल की तलवार से मारा गया। इसके बाद साँगा वहाँ से चला गया। पृथ्वीराज के शरीर में बहुत से जख्म हो गये थे। वह स्वस्थ हो जाने पर साँगा की खोज करने लगा। यह समाचार साँगा को मिला। वह पृथ्वीराज से बचकर राज्य से दूर निकल गया। इस दुर्घटना का समाचार राणा रायमल ने भी सुना । उसे बहुत क्रोध आया। उसने पृथ्वीराज को बुला कर राज्य से निकल जाने का आदेश दिया। अपने पाँच सवारों के साथ पृथ्वीराज गोडवाड़ राज्य के वालियो नामक स्थान पर चला गया। राणा रायमल की अब वृद्धावस्था थी। गोडवाड़ अरावली पर्वत पर बसा हुआ है। इस मौके पर जंगली मीणा लोग वहां पर आकर तरह-तरह के उपद्रव करने लगे और वहाँ के निवासियों को लूटने लगे। गोडवाड़ की राजधानी नाडोल में थी। मीणा लोगों ने वहाँ के सिपाहियों की कोई परवाह नहीं की। उपद्रव करने वाले मीणा लोगों की संख्या इतनी बढ़ गई थी, जो नाडौल के सैनिकों के रोके न रुकी। उस समय पृथ्वीराज बालियों में 152