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पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/१९०

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परिशिष्ठ राणा प्रताप की महानता उन्नीसवीं सदी के प्रारम्भ में यशस्वी इतिहास लेखक कर्नल जेम्स टॉड ने सर्वप्रथम महाराणा प्रताप का ऐतिहासिक जीवन वृत्त लिखने का प्रयास किया था। इस वृत्तान्त में एक विदेशी होते हुए भी टॉड ने महाराणा के शौर्य, अदम्य साहस, उत्कृष्ट वीरता, त्याग, प्रतिज्ञा पालन एवं वलिदान का निष्पक्ष व उचित वर्णन किया है। साथ ही साथ मुगलों की साम्राज्यवादी नीति का सामना प्रताप ने किस वीरता से किया? इस पर प्रकाश डाला है। कुछ आलोचकों का ऐसा मानना है कि टॉड ने इस वृत्तान्त के लेखन में अतिशय श्रद्धा एवं भावुकता से काम लिया है। महाराणा के जीवन पर बाद में 'वीर विनोद' के लेखक कवि राजा श्यामलदास, मुंशी देवी प्रसाद एवं गो.ही.ओझा आदि इतिहासकारों ने अधिक तथ्यात्मक जीवनियां लिखने का कार्य किया। गत दो-तीन दशकों में अन्य कुछ इतिहासकार आगे आए हैं जिन्होंने प्रताप के जीवन वृत्त पर कलम चलाई है। इन लेखकों ने जहां प्रताप के गुणों पर ध्यान केन्द्रित किया है, वहीं उन्होंने तथाकथित रूप से महाराणा के संघर्ष को हानिकारक' एवं 'नकारात्मक रूप' में भी दिखाने का प्रयास किया है। एक ओर ये लेखक प्रताप के वीरोचित गुणों व प्रतिज्ञा पालन पर मुग्ध हैं, वहीं मुगल साम्राज्य विरोधी संघर्ष को स्वतंत्रता व स्वाभिमान रक्षा हेतु लड़ा गया युद्ध बताते हैं। परन्तु जैसे ही मुगल बादशाह अकवर व महाराणा प्रताप की तुलना का अवसर आता है वहां ये लेखक प्रताप को अकवर के तथाकथित 'राष्ट्रीय एकता' के कार्य में बाधा डालने वाला एवं क्षुद्र तथा संकीर्ण उद्देश्यों हेतु लड़ने वाला योद्धा करार देते हैं। मानो इन लेखकों पर अकवर की राजनैतिक सफलताओं का एक सम्मोहन सा छा गया हो। ये लोग भूल गए कि इसी लेखनी से उन्होंने अभी प्रताप के गुणों को प्रकट किया था व प्रशंसा की थी। यह जो कुछ भी लिखा गया है, तर्क शून्य है एवं आंशिक सत्य है। मुगल आक्रमणों की आंधी में समाज को दिशा देकर एवं सुरक्षित निकाल कर स्वाभिमान की रक्षा के संघर्ष को जीवित रखने वाले प्रताप के बारे में इन लेखकों को अभी अधिक परिश्रम व शोध करना होगा। महाराणा पर जो कुछ लिखा गया है उसमें टॉड तथा अन्य लेखकों द्वारा प्रताप के संघर्ष के उद्देश्य, उन्हें प्राप्त करने के प्रयास, विशिष्ठ रणनीति, प्रताप की कूटनीतिक सफलताएं, 190