पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/२३१

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किसी साधारण शासक के बस की बात नहीं थी। नकारात्मक दृष्टिकोण के बजाय प्रताप ने सदैव सकारात्मक एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया। उदार एवं धर्म समभाव की राज्यनीति का पालन मेवाड़ में अधिक उत्तम रीति से हुआ। संकट काल के चलते हुए भी मेवाड़ में साहित्य-सृजन, ज्ञान-विज्ञान एवं कला-कौशल फलते-फूलते रहे, यह प्रताप की गौरवपूर्ण उपलब्धि थी। प्रताप का व्यक्तित्व धीर और गंभीर था। उसमें स्वेच्छाचारिता और निरंकुशता के दुर्गुण नहीं दिखाई पड़ते । श्रेष्ठ आदर्शों एव नीतियों, उज्ज्वल चरित्र एवं व्यवहार तथा उच्च नैतिकता के गुणों से सम्पन्न प्रताप अपने युग का एक महान् आदर्श व्यक्ति था, जिसका कोई सानी नहीं था। - 231