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पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/२३२

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अध्याय-21 महाराणा अमर सिंह व मुगल बादशाह बहराम खाँ राणा प्रतापसिंह के सत्रह लड़के थे। अमरसिंह सबसे बड़ा था। इसलिए प्रतापसिंह के मरने के बाद सम्वत् 1652 सन् 1596 ईसवी में वह सिंहासन पर बैठा। आठ वर्ष की आयु से लेकर प्रताप के मरने के समय तक अमरसिंह अपने पिता के पास रहा और जीवन के भयानक संकटों में उसने अपने दिन विताये थे। इस समय उसके कई लड़के थे। प्रतापसिंह के मरने के आठ वर्ष बाद तक वादशाह अकवर जिन्दा रहा। उसके बाद उसकी भी मृत्यु हो गयी। अर्द्ध शताब्दी से अधिक समय तक उसने सफलता पूर्वक शासन किया। अपनी बुद्धिमानी और राजनीति के द्वारा उसने अपने राज्य को बहुत विस्तृत वना लिया था। यूरोप के बादशाहों में फ्रांस का चौथा हेनरी, स्पेन का पाँचवा चार्ल्स और इंगलैण्ड की रानी एलिजाबेथ को अकबर की समानता दी जाती है। रानी एलिजावेथ और वादशाह अकबर में पत्र व्यहार भी होते थे। हेनरी और एलिजावेथ के मन्त्रियों की तरह अकबर के मन्त्री भी सुयोग्य और राजनीतिज्ञ थे। फ्रांस के राजमन्त्री सूली की तरह मुगल साम्राज्य का मन्त्री समझदार और बहादुर था। उसी की योग्यता के द्वारा मुगल साम्राज्य की बहुत वृद्धि हुई। अकबर की उन्नति के इस प्रकार कई कारण थे। राजा मानसिंह बादशाह अकबर से मिलकर और सभी प्रकार मुगल साम्राज्य की सहायता करके अकबर का दाहिना हाथ वन गया था। बादशाह की सेना में वह एक प्रसिद्ध सेनापति था और राजपूत राजाओं को अकबर की अधीनता में लाने के लिए उसने बहुत बड़ा काम किया । अपने इन कार्यों के द्वारा वह वादशाह का अत्यन्त विश्वास पात्र बन गया था। उसी के कारनामों के कारण राणा प्रताप के साथ युद्ध बन्द कर देने के बाद सम्राट अकबर और राजा मानसिंह के बीच जीवन का एक संघर्ष पैदा हुआ । राजा मानसिंह की जो बहन मानबाई सलीम को ब्याही थी, उससे लड़का पैदा हुआ और उसका नाम खुसरो था। वह मानसिंह का भान्जा था। मानसिंह अपने भान्जे को दिल्ली के सिंहासन पर बिठाने की कोशिश में था। उसकी इस कोशिश का रहस्य अकबर को मालूम हो गया। अकबर को इससे बहुत आघात पहुँचा और उसने मानसिंह को किसी प्रकार मार डालने का निश्चय किया। उसने माजूम बनवाई और उस माजूम के आधे हिस्से में उसने विष मिलवा दिया। होनी को कोई नहीं जानता। अकबर ने विष मिली हुई माजूम खिलाकर मानसिंह को मार डालने की बात सोची थी। परन्तु इसका उलटा हुआ। संयोग से विष मिली हुई माजूम अकबर स्वयं खा गया। जिससे मानसिंह तो बच गया लेकिन अकबर की मृत्यु हो गयी।1 इस घटना की पुष्टि अन्य साक्ष्यों से नहीं होती है। केवल बूंदी के भट्ट कवियों के साहित्य में यह घटना दी गई है। 1. 232