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पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/२४५

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गया। शाहजादा खुर्रम महावत खाँ के साथ भीम के मारे जाने पर उदयपुर चला गया। वहाँ पर राणा कर्ण ने सम्मानपूर्वक उसके रहने की व्यवस्था कर दी और कुछ दिनों के वाद उसके रहने के लिए एक अच्छा-सा महल बनवा दिया। शाहजादा खुर्रम बहुत दिनों तक उस महल में बना रहा। उसके बाद वह ईरान की तरफ चला गया।1 सम्वत् 1648 सन् 1592 में राणा कर्ण की मृत्यु हो गयी। उसके बाद उसका लड़का जगतसिंह उसके सिंहासन पर बैठा। राणा जगतसिंह के शासनकाल में मेवाड़ राज्य के आठ वर्ष बड़ी शान्ति के साथ व्यतीत हुए। कर्ण के मर जाने के थोड़े ही दिनों बाद वादशाह जहाँगीर की भी मृत्यु हो गयी। शाहजादा खुर्रम उस समय सूरत में था। राणा जगतसिंह ने अनेक राजपूतों के साथ अपने भाई के द्वारा बादशाह जहाँगीर के मरने का संदेश सूरत में शाहजादा खुर्रम के पास भेजा । उस सन्देश को पाकर खुर्रम सूरत से उदयपुर चला आया। उसके आने पर मेवाड़ राज्य के बहुत के सामन्त और सरदार उदयपुर आकर सुलतान खुर्रम से मिले। उदयपुर में सभी लोग महल के भीतर एकत्रित हुए। उस समय राणा जगतसिंह ने सबसे पहले शाहजादा खुर्रम का शाहजहाँ कहकर अभिवादन किया। इसके बाद खुर्रम उदयपुर से दिल्ली चला गया। जाने के बाद उसने राणा जगतसिंह को अपने राज्य के पाँच इलाके दिये और एक कीमती मणि भेंट में देकर चित्तौड़ के टूटे हुए दुर्गों की मरम्मत कराने का आदेश दिया। मेवाड़ राज्य के सिंहासन पर बैठकर राणा जगतसिंह ने छब्बीस वर्ष तक शासन किया। उसके राज्य का यह समय बड़ी शान्ति के साथ व्यतीत हुआ। इन दिनों में किसी प्रकार का कोई उत्पात राज्य में पैदा नहीं हुआ। ग्रन्थों में शान्ति के इन दिनों का कोई विशेष वर्णन नहीं पाया जाता । राणा ने अपने शासन के इन दिनों में राज्य की अनेक प्रकार से उन्नति की थी। सुदृढ़ विशाल महलों का निर्माण हुआ था। शत्रुओं के आक्रमणों से जो स्थान नष्ट हो गये थे और उनमें से जिनका निर्माण अभी तक नहीं हुआ था, राणा जगतसिंह ने बड़ी खूबसूरती और मजबूती के साथ उनका निर्माण कराया। अपनी आवश्यकतानुसार राणा जगतसिंह ने कितने ही नये स्थानों की प्रतिष्ठा कराई । उनमें जगनिवास और जगमन्दिर अधिक प्रसिद्ध हैं। पिछोला झील के निकट इन दोनों स्थानों का निर्माण कराया गया। उनके सभी स्थानों में संगमरमर लगवाया गया। इन्हें तैयार कराने में बहुत सी सम्पत्ति खर्च की गयी थी। उनकी दीवारों में अद्भुत और आकर्षक चित्रकारी की गई थी। राणा जगतसिंह ने बड़ी कुशलता के साथ शासन किया था। मुसलमानी हमले से राज्य का जो विनाश हुआ था, सभी तरह से उसकी पूर्ति की। उसके इस प्रकार के कार्यों और गुणों की प्रशंसा कई विदेशी विद्वानों ने अपने ग्रन्थों में की है। उसके कार्यों को लिखने के लिये संक्षेप में इतना ही उल्लेख करना काफी होगा कि दीर्घकाल तक बाहरी शत्रुओं के आक्रमण से जो मेवाड़ राज्य श्मशान बन गया था, उसने फिर से नया जीवन प्राप्त किया। राणा जगतसिंह ने मारवाड़ के राजा की लड़की से विवाह किया था। उस लड़की से दो लड़के पैदा हुए। उनमें जो बड़ा था, वही पिता के मरने के बाद सम्वत् 1710 सन् 1654 ईसवी में मेवाड़ के पर बैठा। उसके पिता के शासनकाल में मेवाड़ राज्य में कुछ इतिहासकारों का कहना है कि शाहजादा खुर्रम राणा के वनवाये हुए उस महल से कुछ दिनों बाद गोलकुण्डा चला गया था। 1. 245