पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/३३०

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पहाड़ी जातियाँ फिर आक्रमण करेंगी। इसलिये उन ब्राह्मणों ने बहुत-सी भूमि सिहाजी को देकर यह प्रार्थना की कि वह वहीं पर रहे ।सिहाजी वहाँ रहने लगा। उसने कोलूमठ की सोलंकिनी राजकुमारी के साथ विवाह किया था। यहाँ पर उसके गर्भ से एक लड़का उत्पन्न हुआ। सियाजी ने उसका नाम आसथाम रखा। पाली नगर में रहकर सिहाजी के विचार कुछ और ही होने लगे। वह पाली नगर के समस्त ब्राह्मणों की विस्तृत भूमि पर अधिकार करने का विचार करने लगा। इस बीच में उसने वहाँ के व्राह्मणों के प्रधान को मार डाला और वहाँ की सम्पूर्ण भूमि पर उसने अधिकार कर लिया। एक वर्ष बाद सीहाजी की मृत्यु हो गई। सिहाजी के तीन लड़के पैदा हुए। सबसे बड़े लड़के का नाम था आसथाम, दूसरे का सोनग और तीसरे का नाम अजमल था। किसी भट्ट कवि ने अपने ग्रन्थ में लिखा है कि सिहाजी का बड़ा पुत्र ठीक उसी की तरह का शूरवीर और पराक्रमी था। उसी ने गोहिलों पर आक्रमण करके खेरधर पर अधिकार किया था। सिहाजी ने जिन दिनों में पाली नगर पर अधिकार किया था, उसके बड़े पुत्र आसथाम ने ईडर को जीतकर अपने छोटे भाई सोनग को वहाँ का अधिकारी बना दिया था ईडर नगर गुजरात की सीमा पर वसा हुआ है। उन दिनों में यह नगर दावी वंश के किसी राजा के अधिकार में था। सिहाजी का बड़ा लड़का आसथाम अपनी राजनीतिक चतुरता के लिये प्रसिद्ध था। ईडर के राजा के मरने पर उसने वहाँ पर अपना अधिकार कर लिया और उसका भाई सोनग वहाँ पर शासन करने लगा। उसके वंशज हातौदिया राठौड़ के नाम से प्रसिद्ध हुये। सिहाजी का तीसरा लड़का अजमल भी बड़ा लड़ाकू था। सौराष्ट्र के पश्चिम की तरफ ऊरवामण्डल नाम का एक नगर था। सौरवंशी भीष्मशाह नाम का एक राजा वहाँ पर राज्य करता था। अजमल ने उसे मार डाला और उसके राज्य पर अधिकार कर लिया। उसके वंशज वाटेला नाम से विख्यात हुये और वे लोग अब तक द्वारिका और उसके आस-पास के नगरों में पाये जाते हैं। आसथाम आठ पुत्रों को छोड़कर मरा 2 दूँहड उसका सबसे बड़ा लड़का था । इसलिये पिता के मरने के बाद वहीं गद्दी पर बैठा । उसके अधिकार में बहुत छोटा-सा राज्य था। कन्नौज का उद्धार करने की अभिलाषा बहुत दिनों से उसके हृदय में थी। पिता के मरने के पश्चात् सिंहासन पर बैठते ही उसने कन्नौज के उद्धार का संकल्प किया। परन्तु वह पूरा न हुआ । इन्हीं दिनों में उसने मन्सोर पर आक्रमण किया । वहाँ पर वह मारा गया । दूँहड के सात लड़के पैदा हुये थे। रायपाल उनमें सबसे बड़ा था। इसलिये पिता के मरने के बाद वही सिंहासन पर बैठा। उसके बाद उसने मन्डोर पर आक्रमण किया और उसके परिहार राजा को मार कर उसने मन्डोर के दुर्ग पर अधिकार कर लिया। परन्तु थोड़े ही दिनों के बाद परिहारों ने संगठित होकर रायपाल के साथ युद्ध किया और उन लोगों ने उसे मन्डोर से भगा दिया। पाली नगर राजस्थान के पश्चिम में है। यह नगर व्यवसाय का एक प्रसिद्ध स्थान है। वह भीलवाड़ा से किसी प्रकार कम नहीं है। यह नगर चारों ओर ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है। मराठों के आक्रमण से बचने के लिए वहाँ की इन दीवारों का निर्माण हुआ था। अब वे बहुत कुछ टूट-फूट गयी हैं। इस नगर में दस हजार से अधिक घर पाये जाते हैं। यह नगर प्राचीन काल से प्रसिद्ध रहा है। तिव्बत और उत्तरी भारत की बहुत-सी व्यावसायिक चीजें यहाँ पर आकर एकत्रित होती थीं और फिर यहाँ से अरब, यूरोप, अफ्रीका को वे चीजें जाती थीं । इस नगर में प्रतिवर्ष पछत्तर हजार रुपये चुंगी के आते थे। 2. दूंहड, जोपसाव, खीमसी, भूपस, घाडल, जैतमल, बाँदर और ऊदड नाम के आठ बेटे आसथाम के थे। इन आठों भाइयों ने अपने-अपने राज्यों का संगठन अलग-अलग किया। इन आठ पुत्रों से दूँहड, धाडल, जैतमल और अहड के वंशों का पता चलता है, शेष भाइयों का नहीं। 1. 376