उसकी बहुत बड़ी ख्याति थी। जिस शूरवीर जयमल ने वादशाह अकबर की प्रचण्ड और विशाल सेना के साथ युद्ध करते हुये चित्तौड़ की रक्षा करने में अपने प्राणों का बलिदान किया था और जिसकी वीरता के सम्मान में बादशाह अकवर ने प्रस्तर की मूर्ति वनवा कर दिल्ली के सिंहद्वार पर रखवाई थी राजकुमार दूदा उसी जयमल का पितामह था। दूदा के एक लड़की पैदा हुई थी, वह अत्यन्त बुद्धिमती और गुणवती थी। उसका नाम मीराबाई था। इस मीराबाई के साथ राणा कुम्भा का विवाह हुआ था। जोधाराव के छठे पुत्र बीका ने जाटों के कुछ गाँवों और नगरों पर अधिकार कर लिया था और बीकानेर की प्रतिष्ठा की थी। उनका वर्णन बीकानेर के इतिहास में किया जायेगा। जोधा की मृत्यु के वाद उसका दूसरा लड़का सूजा मारवाड़ के सिंहासन पर बैठा 12 उसने सत्ताईस वर्ष तक बुद्धिमानी के साथ शासन किया। सम्वत् 1572 सन् 1516 ईसवी के सावन महीने के शुल्क पक्ष की पार्वती तृतीया को पीपार नामक नगर में एक उत्सव हो रहा था ।3 इस उत्सव में मारवाड़ की वहुत सी राजपूत स्त्रियाँ गौरी पूजन करने आयी थीं। उस उत्सव के दिन पठानों की एक सेना ने मेले में आकर आक्रमण किया और एक सौ चालीस राजपूत कुमारियों को उस सेना के पठान अपने साथ ले गये। इस घटना को राजा ने सुना। वह क्रोध में आ गया और जो राजपूत कुमारियाँ पठानों के द्वारा अपहरण की गयी थीं, उनका उद्धार करने के लिए वह कातर हो उठा। इतनी जल्दी में सेना की तैयारी न हो सकती थी। इसलिये बिना विलम्ब किये अपने साथ पहरेदार सिपाहियों को लेकर वह रवाना हुआ और बड़ी तेजी के साथ चलकर उसने पठानों का पीछा किया। रास्ते में पठानों की सेना के मिल जाने से युद्ध आरम्भ हो गया। सूजा ने पठानों के साथ भयानक मारकाट की और उसने अपहरण की हुई सभी राजपूत कुमारियों का उद्धार किया। परन्तु लड़ते हुये उसके शरीर में इतने अधिक जख्म हो गये थे। कि उनके कारण वह युद्ध भूमि में गिर गया और उसकी मृत्यु हो गयी। राजा सूजा के पाँच लड़के थे। सबसे बड़े लड़के की मृत्यु हो गयी थी। इस दशा में उसका दूसरा बेटा गंगा राजसिंहासन पर बैठा । सूरजमल के चार लड़के थे। उसके दूसरे पुत्र ऊदा से ग्यारह लड़के पैदा हुए और उसके वंशज ऊदावत नाम से प्रसिद्ध हुए। इस वंश के लोगों को मारवाड़ और मेवाड़ में कई जागीरें मिली थीं। उन जागीरों में नीमाज, जेतारन, गूदोज, वराठिया और रायपुर आदि अधिक मशहूर हैं। तीसरे पुत्र साँगा को एक स्वाधीन नगर प्राप्त हुआ था। उसका नाम बरोह था। साँगा के वंशज साँगावत के नाम से प्रसिद्ध हुये । चौथे पुत्र प्रयाग से प्रागदास शाखा की उत्पति हुई । बीरनदेव सूजा का पाँचवा लड़का था। उसके नारा नाम का एक लड़का पैदा हुआ था।4 नारा के वंशज नारावत जोधा के नाम से प्रसिद्ध हैं। इसकी एक शाखा हाड़ौती के पंचपहाड़ नामक स्थान में पायी जाती है। कुछ लोगों का कहना है कि मीरावाई दूदा की बेटी नहीं थी और न यह राणा कुम्भा को व्याही गयी थी। मीराबाई दूदा के दूसरे बेटे रत्नसिंह की लड़की थी और वह राणा कुम्भा के प्रपौत्र साँगा के लड़के भोजराज को व्याही गयी थी। कुछ लेखकों का कहना है कि जोधा के मरने के पश्चात् उसका बड़ा लड़का साँतल उसके सिंहासन पर बैठा और साँतल के वाद सम्वत् 1548 में उसका भाई उसका उत्तराधिकारी हुआ। 3. जोधपुर से तीस मील की दूरी पर पीपार नाम का एक छोटा-सा नगर है। इसमें लगभग पन्द्रह सौ घर है। इस नगर में व्यवसायी लोग अधिक रहते हैं। यहाँ पर एक शिलालेख मिला था। उसमें विजयसिंह और दैलून राजा की कुछ बातों का उल्लेख था। ये दोनों राजा गुहिलोत वंश में पैदा हुये थे और उनकी उपाधि कुछ लोगों का कहना है कि वीरनदेव राजा सूजा का लड़का नहीं था। बल्कि सूबा के लड़के वाणा जी का बेटा था। वह छोटी आयु में ही मर गया था। नाराजी वीरनदेव का नहीं सूजा का बेटा था और वह वाणा 1. 2. रावल थी। 4. जी से बड़ा था। 383
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