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पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/४२०

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आपसी फूट और कलह उत्पन्न हुई, उससे मारवाड़ का राज्य किस प्रकार छिन्न-भिन्न हुआ, इसके विवरण विस्तार के साथ आगामी पृष्ठों में लिखे जायेंगे। यह पहले ही लिखा जा चुका है कि अजीतसिंह को मारने के लिए किस प्रकार षड़यंत्र से काम लिया गया था, उसका दुष्परिणाम मारवाड़ के राठौड़ों को थोड़े ही दिनों के बाद भोगना पड़ा और जो मारवाड़ इन दिनों में राजस्थान के अन्य राज्यों की अपेक्षा गौरवपूर्ण हो रहा था, उसके विनाश का बीजारोपण अजीतसिंह की मृत्यु के साथ-साथ हुआ। 466