पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/४८७

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1 समीप के राज्यों पर आक्रमण करना आरम्भ किया। जो राज्य पराजित हो जाते, उन पर वह अपना अधिकार कर लेता। उसके लगातार ऐसा करने से वहाँ के सभी राज्यों में उसका आतंक पैदा हो गया। वहाँ के छोटे-छोटे सभी राजा भयभीत हो उठे। ऐसे राज्यों को परास्त करके बीका ने अपने आपको शक्तिशाली बना लिया। अपने अधिकार की सेना को प्रवल बनाकर और अपने राज्य का विस्तार करके वह मरुभूमि के जाटों के राज्यों की तरफ अग्रसर हुआ। जो लोग बहुत प्राचीन काल से वहाँ पर रहते आ रहे थे। वर्तमान वीकानेर राज्य का अधिकाँश भाग पहले उन्हीं के अधिकार में था। मरुभूमि में बहुत प्राचीन काल से जाट लोग निवासी थे और प्राचीन एशिया में जितनी भी जातियाँ रहती थीं, उनमें इनकी संख्या बहुत अधिक थी। वे लोग अत्यन्त साहसी और पराक्रमी थे। वीका के आक्रमण के दिनों में उनका राजा निर्वल पड़ गया था। ईसा की चौथी शताब्दी में पंजाब में जाटों का शक्तिशाली राज्य था। भारतवर्ष में आक्रमण के समय इन्हीं जाटों ने मुसलमानों का सामना किया था। सिंधु नदी को पार करके महमूद के आगे बढ़ने पर इन्हीं जाटों ने युद्ध करके अपने राज्य की रक्षा की थी और तैमूर के आक्रमण करने पर उसके साथ इन्हीं जाटों ने भयंकर संग्राम किया था। बादशाह वावर ने लिखा है-"भारतवर्ष पर आक्रमण करने के लिए जब मैं आया था, उस समय जाटों ने मेरे साथ युद्ध किया था। पंजाव में इस्लाम का आतंक फैलने पर जाटों ने गुरु नानक के धर्म को स्वीकार किया और वे अपना नाम जाट वदल कर सिक्ख हो गये।" जाट जाति के लोग भारतवर्ष में आने के पहले एशिया के दूसरे भागों में रहते और जिट अथवा जट जाति के नाम से प्रसिद्ध थे। अपने प्राचीन स्थानों को छोड़कर ये लोग भारतवर्ष की मरुभूमि में कव आये, इसका कोई ऐतिहासिक आधार हमारे पास नहीं है। लेकिन यह निश्चित है कि जिन दिनों में राठौरों ने मरुभूमि के जाटों पर आक्रमण किया था, उस समय इस जाति के सामाजिक आचार और व्यवहार सीथियन लोगों के आचार-व्यवहार जैसे थे। इससे जाहिर होता है कि भारतवर्ष में आने के पहले इस जाति के लोग सीथिया में रहते थे और इनकी जाति सीथियन जाति की कोई एक शाखा थी। उन दिनों में ये लोग खेती का काम करते थे। जाट जाति के लोग प्राचीन काल में एक देवी की पूजा करते थे। अपने प्राचीन स्थानों से भारतवर्ष में आ जाने के बाद इन जाटों पर मुस्लिम साधु शेख फकीर ने अपने धर्म का प्रभाव डाला। उस समय इनके प्राचीन धार्मिक विश्वासों में अन्तर पड़े। उनके बहुत से लोग इस्लाम की अनेक वातें मानने लगे। एक जाट ने वातचीत के सिलसिले में मुझसे कहा था- "हम लोग पंजाव के वाहर रहने वाले हैं।" भारतवर्ष में तैमूर और वावर के आक्रमण के दिनों में राठौरों ने जाटों को पराजित किया था। वीका से परास्त होने से पहले जाट लोग कई शताब्दियों से मरुभूमि में रहते थे। वीकानेर राज्य छ: भागों में विभाजित है। वे छ: भाग इस प्रकार हैं- 1. युनिया 4. असिघ 5. वेनीवाल 6. जोया जाट जाति के लोग छ: शाखाओं में विभाजित थे। उन्हीं के नामों से इन स्थानों के नाम प्रसिद्ध हुए थे। इन छ: विभागों के सिवा वीकानेर राज्य के तीन भाग और हैं, जो वागौर, खारी पट्टा और मोहिल के नाम से प्रसिद्ध हैं। इस प्रकार सम्पूर्ण वीकानेर राज्य के नौ भाग हैं। 533 2. गोदरा 3.सारन