सन्तुष्ट न थी। विरोधियों को दवाने के लिए सूरतसिंह ने जिस प्रकार अपने राज्य के आदमियों पर अत्याचार किये थे और भूमि तथा सम्पत्ति देकर सामन्तों को अपने पक्ष में कर लिया था, इसे राज्य की प्रजा ने अच्छा नहीं समझा था। न्याय और उदारता के अभाव में प्रजा सूरतसिंह से सभी प्रकार अप्रसन्न हो रही थी। राज्य की इस परिस्थिति को सूरतसिंह ने साफ-साफ अनुभव किया और उसने राज्य के असन्तोप को दूर करने की चेष्टा की। सूरतसिंह प्रजा के असन्तोप को दूर करना चाहता था लेकिन न्याय और उदार व्यवहारों के द्वारा नहीं। वह दमन पर विश्वास करता था शक्तिशाली विरोधियों को धन और प्रलोभन देकर मिला लेना चाहता था। वह इस समय भी इसी प्रकार की बातों को सोचने लगा। उसका समय अच्छा था। प्रजा के असन्तोष के दिनों में भी जो परिस्थितियाँ उत्पन्न हुईं, वे अनुकूल सावित हुईं। वीकानेर राज्य की सीमा के समीप भावलपुर राज्य था। उसके राजा के साथ वहुत पहले से विरोध चला आ रहा था। उसके सम्बन्ध में वीकानेर के सामन्तों को अनेक बार युद्ध करना पड़ा था। इन दिनों में भावलपुर के राजा भावलखाँ ने अपने राज्य के तियारो के सामन्त खुदावख्श पर आक्रमण किया। खुदाबख्श ने सूरतसिंह से सहायता माँगी। सूरतसिंह ने उस सामन्त को अपने यहाँ आश्रय देकर वीस ग्राम दिये और रोजाना के खर्च के लिए प्रतिदिन के हिसाव से एक सौ रुपया देना मंजूर किया। भावलपुर राज्य में किरणी वंश के लोग रहते थे। वे युद्ध में साहसी और वीर थे। सूरतसिंह ने उस वंश के लोगों को मिलाकर लाभ उठाने का इरादा किया और सामन्त खुदावखा से पूछा- "मैं आपकी सहायता करने के लिए तैयार हूँ। परन्तु इसके बदले में आप मेरे साथ क्या करेंगे।" खुदावख्श ने इसका उत्तर देते हुए कहा- "वीकानेर राज्य की सीमा को बढ़ाने में मैं सभी प्रकार आपकी सहायता करूँगा।" उसके इस उत्तर को सुनकर सूरतसिंह प्रसन्न हुआ और उसने भावलखाँ के साथ युद्ध करने के लिए अपने सभी सामन्तों के पास सन्देश भेज दिया। बीकानेर के सामन्त सूरतसिंह से सन्तुष्ट न थे। परन्तु इस समय राज्य के सामने राजनीतिक संघर्ष था। उसमें शामिल होना उन्होंने अपना कर्त्तव्य समझा। इसलिए अपनी-अपनी सेनाएँ लेकर वे लोग वीकानेर की राजधानी में आने लगे। तियारो का सामन्त खुदाबख्श भी अपने साथ पाँच सौ पैदल और तीन सौ सैनिक सवारों की सेना लेकर राजधानी में पहुँच गया। भावलपुर के राजा के साथ युद्ध करने के लिए वीकानेर के जो सामन्त अपनी सेनाओं के साथ आये, उनकी संख्या इस प्रकार थीः पैदल अश्वारोही बन्दूकें 1. भूखर का सामन्त अभयसिंह 2. पूगल का सामन्त रावरामसिंह 3. रानेर का सामन्त हाथीसिंह 4. सतीसर का सामन्त कर्णसिंह .5. जसाना शारोह का अनूपसिंह सामन्त 2000 300 100 150 8 150 9 250 40 547
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