पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/५०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

इन कारणों का प्रभाव यह पड़ा है कि राज्य की पुरानी अवस्था तेजी के साथ बदल रही है। जनसंख्या लगातार कम हो रही है। तीन शताब्दी पहले राज्य के जो नगर और ग्राम लोगों से भरे हुए दिखाई देते थे, वे बहुत कुछ पहले की अपेक्षा जनहीन हो गये हैं और न जाने कितने ग्राम अपने अस्तित्व खो चुके हैं। जो बाकी रह गये हैं, वे उत्तरोत्तर दीन और दुर्वल होते जाते हैं। किसी समय इस राज्य में बहुत अच्छा व्यवसाय होता था और उस व्यवसाय से जो महसूल वसूल किया जाता था, उससे राज्य का खजाना सदा भरा रहता था। उस खजाने की दशा अव शोचनीय हो गयी है। जो खजाने राज्य के साधारण करों के द्वारा परिपूर्ण रहते थे, वे अनेक नये कर लगाये जाने के बाद भी अब खाली रहते हैं। राजा का ध्यान प्रजा एवं खजाने की इस दुरवस्था की तरफ नहीं है। वह आवश्यकता पड़ने पर प्रजा से उसी प्रकार रुपये वसूल करता है, जिस प्रकार कुओं से पानी भर लिया जाता है। इसका परिणाम यह हुआ है कि राज्य की शक्तियाँ निर्वल पड़ गयी हैं और प्रजा के कष्टों में अधिक वृद्धि हो गयी है। विकने के लिये जो चीजें राज्य में बाहर से आती थीं और जिनकी चुंगी से राज्य को अच्छी आमदनी होती थी, लुटेरों के भय से उनका आना बन्द हो गया है। इसके फलस्वरूप राज्य के व्यावसायिक नगर चूरू, राजगढ़ और रेनी आदि के बाजार खाली पड़े रहते हैं। इन बाजारों में सिन्धु और गंगा के निकटवर्ती नगरों का बहुत सा माल जो बिकने के लिये आया करता था, सव एक साथ वन्द हो गया है। इस प्रवन्ध की हानि न केवल बीकानेर राज्य को पहुँची है, बल्कि जैसलमेर और पूर्वी सीमा के राज्यों को भी दशा इसी प्रकार की हो गयी है। बीकानेर की तरह उन राज्यों में लुटेरों के आतंक बढ़ गये हैं। वीकानेर राज्य को बीदावत लोगों ने लूटमार करके क्षति पहुँचायी है, उसी प्रकार जैसलमेर को मालदेवोत और जयपुर के शेखावत लोगों ने लगातार लूट करके कमजोर वना दिया है। इन लुटेरों की संख्या बढ़ गयी है। मरुभूमि के पश्चिमी भाग में रहने वाले सराई, खोसा और राजड लोगों का यही व्यवसाय हो गया है। उनके झुण्ड इधर-उधर घूमा करते हैं और जहाँ कहीं मौका पा जाते हैं, लूटकर भाग जाते हैं। इन लुटेरों की दशा अरेविया के वेडूइन लोगों की तरह हो गयी है। बीकानेर का विस्तार, उसकी भूमि और जनसंख्या-इस राज्य के पूगल से राजगढ़ तक सभी ग्राम और नगर पूर्वी ग्रामों और नगरों की अपेक्षा अधिक विशाल हैं। वे एक सौ अस्सी मील पक्की भूमि में फैले हुए हैं। उनकी चौड़ाई उत्तर से दक्षिण की तरफ है। भटनेर और महाजन इलाके के मध्यवर्ती ग्राम और नगर एक सौ साठ मील तक फैले हुए हैं। समस्त बीकानेर राज्य की भूमि लगभग बाईस सौ मील तक विस्तार रखती है। पहले किसी समय इस राज्य में दो हजार सात सौ नगर-ग्राम थे। परन्तु इन दिनों में उनकी संख्या आधी से भी कम हो गयी है। बीकानेर राज्य की जनसंख्या का यों तो कोई हिसाव हमारे सामने नहीं है। परन्तु उसके प्रधान बारह नगरों की जनसंख्या जो नीचे दी जा रही है, उसके आधार पर राज्य की जनसंख्या का अनुमान लगाया जा सकता है और वह अनुमान लगभग सही होना चाहिये। इसमें सन्देह करने की आवश्यकता नहीं है। 553