की दूसरी भूमि की आमदनी मारी गयी और राजा के अधिकार में केवल खालसा भूमि रह गयी। इस आमदनी के घट जाने के कारण खजाने की कमी को वह प्रजा से मनमाना धन लेकर पूरा करता रहा। 2. धुआँ कर-यह कर वास्तव में चूल्हा कर है। प्रत्येक घर में रसोई वनती है और खाना पकाया जाता है। घरों में धुआँ निकलने के लिये धुआरे नहीं होते। इसलिये सूरतसिंह के शासनकाल में यह कर लगाया गया और प्रत्येक घर अथवा परिवार से इस कर का एक रुपया वसूल किया जाता था। इस कर के पहले अन्य करों से जो रुपये वसूल होते थे, वे कम न थे। प्रत्येक प्रधान सामन्त को इस कर के पहले लगभग एक लाख रुपये की आमदनी होती थी। फिर भी यह कर लगाया गया था। यह कर केवल जैसलमेर और बीकानेर के राज्यों में ही वसूल किये जाते हैं। 3. अंग कर-यह एक प्रकार का शारीरिक कर है, जो प्रत्येक शरीर पर वसूल किया जाता है। राजा अनूपसिंह ने यह कर प्रचलित किया था। इस कर में प्रत्येक स्त्री-पुरुष से चार आने के हिसाव से वसूल किया जाता है। इस कर में गायें, बैल और भैंसें भी शामिल हैं। उन पर भी यह कर लगता है। दस वकरियों का कर एक भैंस के कर के बराबर होता है। प्रत्येक ऊँट पर इस कर का एक रुपया लगता है। राजा गजसिंह ने इस कर को दो गुना कर दिया था। इस कर में प्रायः कमी और बढ़ोतरी होती रही है। राज्य को इसके द्वारा दो लाख रुपये की आमदनी होती है। 4. यातायात अथवा वाणिज्य कर-इस कर में प्रायः परिवर्तन हो जाता है। राजा सूरतसिंह के शासनकाल में इस कर की आमदनी बहुत कम हो गयी थी। प्राचीन काल में केवल राजधानी से इस कर की जो आमदनी होती थी, उतनी उन दिनों में पूरे राज्य की भी नहीं होती थी। पहले इस कर से राज्य को दो लाख रुपये मिलते थे। परन्तु आजकल जो आमदनी होती है, वह एक लाख रुपया भी नहीं है। लुटेरों के अत्याचारों के कारण राज्य के वाणिज्य को बहुत आघात पहुँचा है और उसी से वाणिज्य कर की आमदनी वहुत घट गयी है। मुलतान,भावलपुर और शिकारपुर से जो व्यवसायी बीकानेर होकर पूर्व के नगरों और राज्यों को जाते थे, लुटेरों के भय के कारण उनका राज्य में आना बन्द हो गया है। 5. कृषि कर-यह कर खेती का काम करने वालों पर लगता है और प्रत्येक हल पर पाँच रुपये वसूल किये जाते हैं। प्राचीन काल में इस कर के रूप में किसानों से अनाज लिया आता था। खेतों की पैदावार का एक चौथाई अनाज राजा ले लेता था। राजा रायसिंह ने इस व्यवस्था में परिवर्तन किया। परिवर्तन का कारण यह था कि पहले किसानों से जो एक चौथाई अनाज वसूल किया जाता था, उसमें राज्य के कर्मचारी वड़ी बेईमानी करते थे और किसानों को बहुत क्षति उठानी पड़ती थी। राजा रायसिंह के द्वारा इस कर में परिवर्तन होने से राज्य के कर्मचारियों को पहले की तरह वेईमानी करने का मौका न मिला। इससे जाट लोग बहुत प्रसन्न हुए। इस कर से राज्य को पहले दो लाख रुपये की आमदनी होती थी। बीकानेर की खेती लगातार अवनत होती जा रही थी। इसलिए इसके द्वारा एक लाख पच्चीस हजार रुपये की आमदनी होने लगी। इस कमी का बहुत कुछ कारण राज्य में फैली हुई अशान्ति थी, अब उस अवस्था में परिवर्तन हो गया है। इसलिए राज्य की आमदनी भी बढ़नी चाहिए। 559
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