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पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/५१४

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X 6. मालबा-माल शब्द का अर्थ भूमि है। बीकानेर में भूमि को जो कर लिया जाता है, वह मालबा कर के नाम से प्रसिद्ध है। यह कर वह है जिसे जाटों ने बीका के सम्मुख आत्म समर्पण करके देना स्वीकार किया था। यह कर बीका के बाद उसके उत्तराधिकारियों में अब तक चला आता है और बीकानेर के राजा उसे बराबर वसूल करते हैं। राज्य की प्रत्येक सौ बीघा भूमि पर इस कर के दो रुपये लिये जाते हैं। इन दिनों में राज्य को इससे जो आमदनी होती है, वह पचास हजार रुपये से भी कम है। करों के द्वारा राज्य की आमदनी का विवरण इस प्रकार है। 1.खालसा 100000 रुपये 2. धुआँधार 100000 रुपये 3. अंगकर 200000 रुपये 4. वाणिज्य कर 75000 रुपये 5. कृषि कर 125000 रुपये 6.मालवा 50000 रुपये जोड़ 650000 रुपये बीकानेर राज्य में धातुई नाम का भी एक कर लगता है। वह तीन वर्ष में एक बार वसूल किया जाता है और एक हल पर पाँच रुपये देने पड़ते हैं। राजा जोरावर सिंह ने यह कर प्रचलित किया था। एशिया घाटी के पचास ग्रामों और बेनीपाल के सत्तर ग्रामों को छोड़कर शेष सम्पूर्ण राज्य को यह कर देना पड़ता है। जिन ग्रामों से यह कर नहीं लिया जाता, उसका कारण यह है कि उन ग्रामों के निवासी राज्य की सीमा की रक्षा का कार्य करते हैं। इस कर से प्रधान सामन्तों को मुक्त रखा गया है। इसके द्वारा राज्य की आमदनी एक लाख रुपये से भी कम होती है। ऊपर जिन करों का वर्णन किया गया है राजा सूरतसिंह ने उनके अतिरिक्त राज्य में नये कर लगाकर अपने शासनकाल में रुपये वसूल किये थे। उन दिनों में राज कर्मचारी प्रजा x नोहर जिले के 84 ग्रामों का कर रेनी जिले के 24 ग्रामों का कर राणियाँ जिले के 44 ग्रामों का कर जालोली जिले के 5000 रुपये (राजगढ़, चुरू आदि के मिल जाने जोड़ 126000 रुपये पर खालसा भूमि का कर)

  • प्राचीन काल के वाणिज्य कर का विवरण नीचे दिया जाता है:

लूनकरण नगर राजगढ़ नगर शेखसर नगर राजधानी बीकानेर चुरू और दूसरे नगर जोड़ 100000 रुपये 1000 रुपये 20000 रुपये 1 ग्राम का कर 2000 रुपये 10000 रुपये 5000 रुपये 75000 रुपये 45000 रुपये 137000 रुपये 560