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पृष्ठ:राजा और प्रजा.pdf/१२

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राजा और प्रजा॥

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अँगरेज और भारतवासी।

There is nothing like love and admiration for bringing people to a likeness with what they love and admire; but the Englishman seems never to dream of employing these influences upon a race he wants to fuse with himslf. He employs simply material interests for his work of fusion; and, beyond these nothing except scorn and rebuke. Accord- ingly there is no vital union between him and the races he has annexed; and while France can freely boast of her magnificent unity, a unity of spirit no less than of name between all the people who compose her, in our country the Englishman proper is in union of spirit with no one except other Englishmen proper like himself.

Matthew Arnold,

हमारे यहाँके प्राचीन पुराणों और इतिहासोंमें लिखा है कि जबतक चरित्र या आचरणमें कोई छिद्र ( या दोष ) न हो तबतक अलक्ष्मी- को प्रवेश करनेका कोई मार्ग नहीं मिलता, लेकिन दुर्भाग्यवश प्रत्येक जातिमें एक न एक छिद्र हुआ ही करता है । इससे भी बढ़कर दुर्भाग्यका विषय यह है कि जिस बातमें मनुष्यकी दुर्बलता होती है उसीपर उसका स्नेह भी अधिक होता है । अँगरेज लोग भी अपने चरित्रमें उद्धतताका पालन एक प्रकारके कुछ विशेष गौरवके साथ करते हैं। अपनी द्वैपायन संकीर्णतामें वे जो अटल रहते हैं और भ्रमण