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राजा और प्रजा।
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रोक नहीं सकेगा। आठ महीनेकी अनावृष्टिके बाद वर्षा जब पहले पहले आती है तब अन्धड़ लेकर ही आती है, पर नववर्षाके आरम्भिक कालका यह अन्धड़ ही नूतन आविर्भावका सर्व प्रधान अंग नहीं होता, यही नहीं, वह स्थायी भी नहीं होता। बिजलीकी कड़क, बादलोंकी गरज और वायुकी उन्मत्तता अपने आप ही जैसे आई वैसे चली जायगी। उस समय बादल दल बाँधकर आकाशको एक सिरेसे दूसरे सिरेतक स्निग्धतासे ढ़क देंगे। चारों ओर धाराएँ बरसकर तृषित पात्रोंको जलपूर्ण कर देंगी, क्षुधितोंके खेतोंमें अन्नकी आशाका अंकुर उगा देंगी। उस मंगल परिपूर्ण अद्भुत सफलताके दिनने बहुत दिनोंकी प्रतीक्षाके बाद भारतमें पदार्पण किया है, इसको निश्चित रूपसे जानकर हम सानन्द तैयार होंगे। किस बातके लिये? घरसे निकलकर खेततक पहुँचनेके लिये, भूमि जोतनेके लिये, बीज बोनेके लिये—तदुपरान्त सोनेकी फसलमें लक्ष्मीका आविर्भाव होनेपर उसे घर लाकर सार्वकालिक उत्सवकी प्रतिष्ठा करनेके लिये।

 

समाप्त।