अंकित हैं। १५वीं-१६वीं शताब्दी की रामावतार-संबंधी कांसे की तथा आधुनिक हाथी दांत की बनी राम-लक्ष्मण-सीता की मूर्तियां बहुत हैं। यद्यपि गुप्तकालीन शिलालेखों में राम के विष्णु अवतार का कही भी आभास नहीं मिलता है; परन्तु कालिदास ने रघुवंश में लिखा है कि रावण को मारने के लिए ही विष्णु ने राम का अवतार लिया। उसने हरि विष्णु को राम नाम से संबोधित किया है। इसके बाद तो राम को विष्णु अवतार मान ही लिया गया। सर्वत्र ही उनकी पाषाण प्रतिमाएं प्राप्त हैं। इस सब मूर्तियों में राम के हाथ में बाण और धनुष है। ऐसी ही एक १०वीं शताब्दी की मूर्ति बर्मा के 'पंगन' स्थित 'नाथलिंग' के मन्दिर के ताक में रखी है। शिलालेखों में राम का सर्वप्रथम शिलालेख गुप्त सम्राट् समुद्र-गुप्त का एरण में है, जिसमें राम का संकेत है। भारत के अतिरिक्त मध्य एशिया, चीन, बर्मा, स्याम, कम्बोडिया, जावा, थाइलैंड में राम-संबंधी मूर्तियां और लेख मिले हैं।
जावा के प्राचीन शिलालेखों में दशरथ-पुत्र राम के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए 'रामकीर्ति' का उल्लेख है। कम्बोडिया के ६ठी शताब्दी के एक शिलालेख से प्रकट है, कि वहां रात-दिन रामायण, महाभारत, पुराण का पाठ होता है। थाइलैंड की राजधानी बैंकाक के राजमंदिर की दीवारों पर रामचरितमानस संबंधी झाकियां अंकित हैं।"
बर्मा में 'रामवती' की स्थापना ९वीं शताब्दी में राम के नाम से हुई। 'अमरपुर' बर्मा के विहार में राम, लक्ष्मण, सीता तथा वानरसेना अंकित है। कम्बोडिया के जगत्प्रसिद्ध 'हेम शृंगगिरि' मन्दिर में रामायण-संबंधी चित्र अंकित हैं। मध्य जावा के ९वीं शताब्दी के प्राम्वानम् के मन्दिर में ऐसे ही चित्र हैं। प्राम्वानम् में रामायण के बीस संदर्भों के चित्र हैं।
यूरोप के देशों में भी राम का प्रभाव प्रकट होता है। यूरोप की सारी ही जातियां किसी न किसी अंश में सूर्यवंश, भरतवंश और राम के नाम को सांस्कृतिक रूप में साथ ले गई हैं। खास कर जर्मनी और इंग्लैंड में तो राम से सम्बन्धित बहुत नाम हैं। फ्रांस के भी कुछ नगर और गांव राम की ध्वनि प्रकट करते हैं। इसी प्रकार स्पेन, स्वीडन, नार्वे और स्कैंडिनेविया, ग्रीस और इटली में भी है।
मानवशास्त्रियों ने मनुष्य जाति को पांच भागों से विभवत किया है। रंग के हिसाब से ये गोरे, पीले, काले बादामी और लाल हैं। इनमें गोरी जाति प्रधान है; मिस्र, असीरिया, बेबिलोनिया, फिनिशिया, फारस, यूनान, इटली, भारत, हिब्रू में बसने वाली जातियां गोरी हैं। गोरी जाति की तीन शाखाएं हैं : आर्य, सैमेटिक और हैमेटिक। आर्य सर्वप्रधान हैं। आर्यों के
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