अन्तर्गत भारतीयों, जर्मना, रूसियों, अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की गणना है, इसी से इन सब जातियों में इस आर्य नेता, विजेता, मर्यादा पुरुषोत्तम राम का किसी न किसी रूप में सांस्कृतिक मिश्रण है।
ग्रीक कवि होमर ने अपने अमर काव्य 'इलियड' में 'रामायण' से ही प्रेरणा ली है, ऐसा प्रतीत होता है और इसका समर्थन अब अनेक विद्वान भी करते हैं। अब आप इलियड और रामायण के कथानक की समता पर विचार कीजिए। इलियड के मुख्य पात्र दो भाई हैं, जिनका आपस में अत्यन्त प्रेम है। रामायण में भी राम और लक्ष्मण ऐसे ही हैं। इलियड में उन दोनों भाइयों को उनका पिता आरगल अपने राज्य से निकाल देता है, इधर राम को भी वनवास होता है। इलियड का नायक मेनेलिस हेलना को उसके पिता द्वारा आयोजित स्वयंवर में सबको जीत कर अपनाता है, उसी प्रकार राम धनुषयज्ञ में सीता का वरण करते हैं। राज्य-निकाले के समय ट्राय के बादशाह प्रायास का पुत्र पॅरिस, मेनेलिस की अनुपस्थिति में उसके घर आकर उसकी पत्नी को चुराकर समुद्र पार ट्राय नगर में ले जाता है। उसी प्रकार जैसे राम के पीछे रावण सीता को चुराकर समुद्र पार लंका में ले जाता है। ट्राय के महल जमीन से बहुत ऊपर तक बसे थे, जैसे कि लंका की राजधानी भी त्रिकूट पर साधारण सतह से बहुत ऊपर बसी थी।
स्पार्टा के बादशाह मेनेलिस ने ग्रीक राजकुमार की सेना लेकर बारह सौ जहाजों से आग्नेय समुद्र पार करके ट्राय को घेरा था, उसी प्रकार, जैसे राम ने सुग्रीव की वानर सेना लेकर हिन्द महासागर पार कर लंका को घेरा था।
ट्राय के युद्ध में असंख्य यूनानी सेना थी, जिसमें घुड़सवार और रथी थे। ऐसी ही राम की सेना अपार थी। उसमें रथ भी थे। द्वाय का घेरा अमेनन के नेतृत्व में हुआ था, जिसे यूनान के राजा ने विश्वकर्मा के बनाए अस्त्र दिए थे। ऐसे ही लंका में राम ने इन्द्र का रथ, घोड़े तथा सारथी प्राप्त किए और विश्वामित्र के दिए दिव्य अस्त्रों का प्रयोग किया। ट्राय के सेनापति के बाण भी मेघनाद के बाणों की भांति उसके तरकश में लौट आते थे। हनुमान की गर्जना की भांति ही एक्लस की गर्जना ट्राय नगर की सेना में आतंक उत्पन्न कर देती है। हनुमान ने जैसे लंका के विशाल फाटक को उखाड़ फेंका था, वैसे ही हैक्टर ने ट्राय का मुख्य लौह फाटक उखाड़ फेंका था। ट्राय के युद्ध में अनेक महारथी भारी-भारी पत्थर उठा-
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