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पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/१२१

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राबिन्सन क्रूसो।


पक्षियों को यथेच्छ न मार सका। मैं चिड़ियों के शिकार की अपेक्षा बकरों के शिकार को ज़्यादा पसन्द करता था। कारण यह कि एक बकरे से कई दिनों का खाना मजे में चल जाता था। मेरे घर की तरफ़ से द्वीप के इस हिस्से में बकरों की संख्या भी बहुत अधिक थी। किन्तु यह भाग द्वीप के और भागों की तरह ऊँचा नीचा न था। इधर की भूमि समतल थी। इसलिए वे मुझ को दूर से देखते ही बड़ी तेजी से भाग जाते थे। उनका पीछा में कहाँ तक कर सकता।

इधर का सामुद्रिक तट यद्यपि मुझे अधिक रमणीय जँचता था तथापि मुझे अपने वासस्थल को उठाकर इस तरफ़ लाने की इच्छा न होती थी। ऐसे सर्वांशसम्पन्न घर को तोड़ कर नई जगह में आने को जी नहीं चाहता था। मैं इस तरफ़ सिर्फ घूमने ही आया था, जी मेरा अपने हाथ के बनाये हुए घर की ओर ही लगा था। समुद्र के किनारे किनारे मैंने अन्दाज़न बारह मील, जाकर घर लौट आने की इच्छा की। अपने घूमने की सीमा को निर्दिष्ट रखने की इच्छा से मैंने समुद्रतट पर एक लम्बा सा खंभा गाड़ दिया। वही मेरे पश्चिम ओर के भ्रमण का अन्तिम चिह्न हुआ। मैंने निश्चय किया कि घर जाकर अब पूरब ओर की यात्रा करूँगा और उधर से घूमते घूमते जब चिह्मस्वरूप गड़े हुए खमे तक आ जाऊँगा तब समझूँगा कि मेरी द्वीप-परिक्रमा पूरी हुई।

द्वीप का पूरा पूरा परिचय पाने के लिए मैं जिस राह से गया था उस राह से न लौटकर दूसरे रास्ते से लौटा। दो तीन मील आते न आते मैं पहाड़ की एक ऐसी तराई में पहुँचा कि जंगल से ढकी हुई राह में दिशा का र्निर्णय करना कठिन हो गया। मैं अपने दुर्भाग्य से तीन