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पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/१७५

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राबिन्सन क्रूसो।

तोप की आग की झलक देख पड़ी फिर पीछे शब्द सुन पड़ा। उसके बाद धड़ाधड़ तोप की आवाज़ होने लगी। मैंने सारी रात बैठ कर भाग जलाई। सुबह होने पर बहुत दूर समुद्र में कुछ दिखाई दिया, किन्तु दूरबीन लगा कर भी मैं ठीक न कर सका कि वह क्या था।

मैं दिन भर बार बार उसी ओर देखने लगा किन्तु उससे कुछ फल न हुआ। मैंने सोचा कि कोई जहाज़ लंगर डाले ठहरा है। मैं बन्दूक लेकर झट पहाड़ से उतरा और द्वीप के दक्षिण ओर दौड़ा गया। वहाँ पहाड़ पर चढ़ कर नैराश्य भाव से देखा, वह एक टूटा हुआ जहाज़ था। उसी भँवर के पास वह पहाड़ से टकरा कर टूट जाने के कारण जलमग्न हो गया है। उसके नाविक और यात्री क्या हुए, कहाँ गये, इसका कुछ पता नहीं। उस भन्न जहाज़ को देख कर मैं बहुतेरा अनुमान करने लगा। मैं जिस अवस्था में था उसमें उन लोगों की विपत्ति में समवेदना प्रकट करने के अतिरिक्त और साहाय्य कर ही क्या सकता था! शायद दूसरे जहाज़ ने उन लोगों का इस विपदा से उद्धार किया हो; किन्तु उसका कोई लक्षण दिखाई नहीं दिया। तो क्या इतने जीव सब के सब एक साथ डूब मरे? हाय! यदि उनमें से एक भी आदमी बच कर मेरे पास आता, तो मैं संगी पाकर कितना खुश होता! उसके साथ बात चीत कर के जी का बोझ हलका करता। उन नौकारोहियों में कोई बचा या नहीं, यह मुझे मालूम न हुआ। किन्तु कई दिनों के बाद एक जलमग्न लड़के का मृत कलेवर उतराता हुआ समुद्र के किनारे श्रा लगा था। उसकी पोशाक नाविक की थी। वह किस देश या किस जाति का था यह, उसे देख कर