पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/१७७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१६०
राबिन्सन क्रूसो।


कर मेरी छाती फट गई। वह दो पहाड़ों के बीच में पड़कर चूर चूर हो गया है। उसका अगला और पिछला हिस्सा समुद्र की तरङ्ग-ताड़ना से भग्न हो गया है। जहाज़ की गढ़न देख कर मैंने समझ लिया कि वह स्पेन देश का था।

जहाज़ के पास डोगी के पहुँचते ही जहाज़ पर एक कुत्ता मेरी ओर झुक झुक कर भूँकने लगा। मेरे बुलाते ही वह समुद्र में कूद पड़ा। मैंने उसे अपनी डोंगी पर चढ़ा लिया। वह बेचारा मारे भूख-प्यास के अधमरा सा हो गया था। मैंने ज्योंही उसके आगे एक रोटी फेंकी त्योंही वह उसे एक ही बार में निगल गया। तब उसे पीने को थोड़ा सा पानी दिया। यदि मैं उसे पानी पीने से न रोकता तो शायद वह इतना पानी पी लेता कि पेट फटने से मर जाता। इसके बाद मैं जहाज़ के ऊपर गया। देखा, रसोईघर में दो आदमी एक दूसरे से चिपके हुए मरे पड़े हैं। इस कुत्ते के सिवा जहाज़ पर एक भी प्राणी जीता न मिला। दो सन्दूक मिले। उनमें क्या है, यह देखे बिना ही उन्हें उठा कर मैं अपनी डोंगी पर ले आया। कमरे के भीतर कई बन्दूके और बारूद की थैलियाँ थीं। बन्दूको की आवश्यकता न थी। केवल बारूद उठाकर ले आया। कितने ही काठ के बर्तन, जंजीर, चिमटा और कोयला खोदने के कुदाल मिले। ये चीजें बड़ी आवश्यक थीं। इन चीज़ों और कुत्ते को लेकर मैं लौट चला, कारण यह कि भाटा शुरू हो गया था।

मारे परिश्रम के थक कर मैं साँझ को अपने द्वीप में लौट आया। इतना थका था कि नाव से उतरने का साहस न हुआ। उस रात को नाव में ही सो रहा। जहाज़ से लाई हुई नई चीज़ों को घर न ले जाकर नवीन गुफा के भीतर रखने का निश्चय किया। सबेरे उठकर सब चीज़ों को