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पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/२९

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राबिन्सन क्रूसो ।


किन्तु भाग कर किस ओर कहाँ जाऊँगा इसका कुछ ठीक न था; केवल वहाँँ से किसी तरह भाग निकलना ही मेरा उद्देश्य था ।

मैंने जलयात्रा के लिए कुछ अधिक परिमाण में खाद्य सामग्री लेने के अभिप्राय से छल करके मूर से कहा—- "मालिक के लिए जो खाने की चीज़े लाकर रक्खी हैं, वे हम लोग खा लें, यह ठीक नहीं; हम लोग अपने लिए कुछ खाद्य अलग ले लें" । उसने भी मेरे प्रस्ताव को स्वीकार कर कहा, "हाँ, यह बात सही है ।" फिर वह बड़ी फुरती से एक बहुत बड़े टोकरे में खाने की सामग्री और तीन घड़ों में मीठा जल भर कर ले आया । मूर जब खाद्य वस्तु लाने गया था । तब मौका पा कर मैंने भी कुछ खाने-पीने की वस्तुएँ ला कर इस ढंग से वहाँ रख दीं कि जिसके देखने से मालूम हो कि वह पहले ही से मालिक के लिए लाकर रक्खी गई हैं । खाने-पीने की वस्तुओं के अतिरिक्त मैंने बीस-पच्चीस सेर मोम,थोड़ा सूत,एक कुल्हाड़ी, एक कुदाल और एक हथौड़ी चुपचाप छिपा कर नाव में रख ली थी । इन सब सामग्रियों से मेरा यथेष्ट उपकार हुआ था । विशेष करके मोमबत्ती बनाने से मुझे बड़ी सहायता मिली थी। मैंने मूर को एक बार और ठगा । उससे कहा, “मालिक की बन्दूक तो नाव में है ही, कुछ गोली-बारूद पास रहती तो हम लोग चिड़ियों का भी शिकार कर सकते।" यह सुन कर मूर ने उसी समय कुछ छर्रे, बारूद और गोली आदि ला कर मेरे हवाले किया । मैंने उन चीज़ो को अपने पहले के लाये हुए सामान के साथ रख दिया ।