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राबिन्सन क्रूसो।


जाने का बहाना कर के दो डोंगियाँ माँग लीं। उन्हीं पर सवार हो कर वे लोग यहाँ चले आये।

इन लोगों के साथ वे तीनो अँगरेज़ नाविक पहले अच्छा सलूक करते थे। स्पेनियर्ड लोग ढूँढ़ ढूँढ़ कर खाद्य सामग्री लाते थे और वे लोग बाबू साहब की भाँति बड़े चैन से खाते और द्वीप में इधर उधर घूम फिर कर सैर करते थे। फिर उन्होंने क्रम क्रम से इन लोगों पर अत्याचार करना आरम्भ किया। कभी इन लोगों का खेत काट कर पशुओं को खिला देते थे, कभी पालतू बकरों को मार डालते थे और कभी गोली भर कर मारने का भय दिखलाते थे। कभी घर में आग लगाने की धमकी देते थे। एक दिन एक स्पेनियर्ड ने उनके इस नीच व्यवहार का प्रतिवाद किया। क्रमशः बात ही बात में झगड़ा बढ़ चला। तब उन्होंने स्पेनियों को पराजित करने का संकल्प किया। इसलिए स्पेनियों ने उनसे हथियार छीन लिये। निरस्त्र होने पर वे दुष्ट क्रोध से एकदम पागल हो उठे और स्पेनियर्डों से सम्पर्क त्याग कर चले गये।

पाँच दिन के बाद तीनों आदमी घूमते-फिरते थके-माँदे भूख से व्याकुल होकर लौट आये और बड़े विनीत भाव से उन लोगों से आश्रय की प्रार्थना की। स्पेनियर्डों ने बड़ी शिष्टता से उन्हें खाने-पीने को दिया और बड़ी मुलायमियत से समझा दिया कि इस सुदूरवर्ती द्वीप में हम लोग इने गिने कई मनुष्य हैं। यदि इन कई व्यक्तियों में परस्पर मेल न रहा, सद्भाव न रहा तो यह बड़ी लज्जा का विषय है। इस प्रकार की शिक्षा और मीठे तिरस्कार से उन लोगों ने अपनी भूल स्वीकार की और अपराध के लिए क्षमा प्रार्थना की। फिर वे इस शर्त पर रख लिये गये कि जिन कामों को वे बिगाड़ गये हैं