सर्दार-नहीं भाई, आज तुमने बड़ी बहादुरी के साथ लड़ाई की है। यदि कल तुम युद्ध न भी कर सकोगे तो तुम्हारी ओर से खुद में युद्ध करूँगा।
चटकीली चाँदनी रात है। हम लोगों ने देखा कि असभ्य लोग अपने मुदौ और घायलों को लेकर बड़ी चिन्ता में पड़े हैं। सभी आपस में अपने मन की बातें कर रहे हैं। यह देख कर सर्दार ने उन असभ्यों पर एक बार रात में ही आक्रमण करने का विचार किया। हम लोग जंगल के भीतर ही भीतर छिप कर इधर उधर चक्कर काटते हुए एकदम असभ्यों के समीप जा पहुँचे। हम लोगों ने एक साथ आठ बन्दू के दाग दी। आध मिनट के बाद फिर आठ बन्दूक़ों की आवाज़ हुई। कितने ही मरे, और कितने ही घायल हुए। असभ्य लोग किधर भागे, कुछ निर्णय न कर जहाँ के तहाँ खड़े हो मरने लगे।
हमारे आठ आठ आदमियों की तीन टोलियाँ हो गईं और तीनों तरफ से एक साथ सिंहनाद करके उन असभ्यों पर टूट पड़े, और उन सबों को लाठी, बन्दूक़ के कुन्दे, फरसे और कुल्हाड़ी आदि हथियारों से मारने लगे। थोड़ी ही देर में असंख्य असभ्य भूतलशायी हो गये। दो-एक ने तीर मारने की चेष्टा की थी किन्तु उन्हें अवसर न मिला। एक तीर ने फ्राइडे के पिता को किञ्चित् घायल किया था। जो असभ्य बचे वे चिल्लाते हुए जहाँ तहाँ भाग गये। हम लोग उनको मारते मारते थक गये थे इस लिए उनका पीछा न कर सके। कुल १८० असभ्य मारे गये। बचे हुए असभ्य दौड़ कर समुद्रतट में अपनी नाव पर सवार होने गये। किन्तु उन लोगों पर