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राबिन्सन क्रूसो।

एटकिंस के घर में आँगन, दालान, चबूतरा और बरांडा सभी ऐसे सुन्दर थे और सर्वत्र ऐसी सफाई थी कि जो देखते ही बन आवे। एटकिंस के घर सा सुहावना घर मैंने और कहीं नहीं देखा। इस घर में एटकिंस और उसके दो साथियों के कुटुम्बी लोग रहते थे। जो व्यक्ति असभ्यों के हाथ लड़ाई में मारा गया था उसकी विधवा स्त्री अपने तीन बच्चों को लेकर यहीं रहती थी। और भी सन्तान सहित दो विधवाओं का वह प्रतिपालन करता था।

वे स्त्रियाँ भी गृह-कार्य में बड़ी चतुर थीं। उन्होंने अँगरेज़ पति पाकर अँगरेज़ी बोलना सीख लिया था। उनके लड़के भी अँगरेज़ी बोलते थे। मैंने उन सब बच्चों को जाकर देखा । सब से बड़े बच्चे की उम्र छः वर्ष की थी।

मैंने देखा, इस समय स्पेनियर्डों और अँगरेज़ों के बीच किसी तरह की अनबन न थी। दोनों मिल जुल कर अपना अपना काम करते थे। मैंने एक भोज देकर सबको सम्मानित किया। मेरे जहाज़ के रसोइये ने भोजन बना कर सब को खिलाया-पिलाया। बहुत दिनों बाद स्वादिष्ठ भोजन पा कर सभी लोग अपनी रसना को परितृप्त कर के प्रसन्न हुए।

भोज का जलसा समाप्त होने पर मैंने जहाज़ पर से वे चीज़ उठवा मँगाईं जो उन लोगों के लिए अपने साथ लाया था। उन लोगों में वे चीज़ मैंने इस हिसाब से बाँट दी कि जिसमें उन लोगों में पीछे से आपस में, समान भाग न मिलने के कारण, तकरार न हो। मैंने उन सौगाती चीज़ों को बराबर बराबर बाँट दिया।

मैं उन लोगों का यहाँ तक हितचिन्तक था, यह देखकर उन लोगों का हृदय प्रेम से पसीज उठा और सारा शरीर