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फ़्राइडे की मृत्यु।


दी। एक साथ नौ तोपों का भयङ्कर शब्द उन लोगों के पुरुषों ने भी आज तक कभी न सुना था। उनकी तीन चार नावें एक दम भर में उलट गईं। फ़्राइडे मेरा मित्र, नौकर, मन्त्री, साथी और पुत्र सब कुछ था। उस की मृत्यु से मैं ऐसा क्रुद्ध हुआ कि वे असभ्य सब के सब मारे जाकर उनकी सब नावें नष्ट-भ्रष्ट हो जलमग्न हो जातीं तो कदाचित् मेरे हृदय का ताप कुछ शान्त होता।

एक ही साथ उतनी तोपों की आवाज़ होने से असभ्यदल में बड़ी खलबली मच गई। नावों में परस्पर टक्कर लगने से तेरह-चौदह नावें टुकड़े टुकड़े हो गईं और उन के सवार समुद्र में गिरकर तैरने लगे। और लोग अपनी अपनी नाव खेकर बड़े वेग से भाग चले। उन लोगों ने कुछ भी खबर नहीं ली कि हमारे नौकाहीन साथियों की क्या दशा हुई। जलमग्न लोगों में प्रायः सभी मर मिट, केवल एक व्यक्ति को हमारे जहाज़ वालों ने जहाज़ पर खींच कर बचा लिया था। उस दिन सन्ध्या समय खूब तेज़ हवा बहने लगी। तब हम लोग पाल तान कर ब्रेज़िल की तरफ़ रवाना हुए। वह बन्दी असभ्य ऐसा दुखी था कि न कुछ खाता था और न कुछ बोलता था। मैंने देखा कि वह उपवास करते ही करते मर जायगा। तब मैंने उसे जहाज़ की डोंगी में उतार कर इशारे से कहा-"कुछ कहो तो कहो, नहीं तो तुझे अभी समुद्र में फेंक दूंगा।" तब भी वह कुछ न बोला। उसकी यह असभ्यता देख नाविकों ने धर पकड़ कर उसे पानी में गिरा दिया। अब वह जल पर तृण की भाँति तैरता हुआ जहाज़ के पीछे पीछे आने लगा और अपनी मातृभाषा में हम लोगों से न मालूम क्या कहने लगा। इसके बाद वह फिर जहाज़ पर

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