किसी के पास कोई हथियार न था । सिर्फ एक आदमी के हाथ
में एक लम्बी सी पतली लाठी थी । वे लोग लक्ष्य को
स्थिर करके बहुत दूर से लाठी फेंक कर मार सकते थे । इस
कारण हमने नाव को किनारे से कुछ दूर ही ठहरा कर इशारे
से उन लोगों से कुछ खाने की चीज़ माँगी । उन लोगों ने भी
संकेत द्वारा हमसे नाव ठहराने को कहा और कुछ खाद्य
सामग्री लाना स्वीकार किया । हमने पाल गिरा कर नाव को
ठहराया । उन दर्शकों में से दो मनुष्य ऊपर दौड़ कर गये
और आध घंटे के भीतर कुछ सूखा मांस और अपने देश का
थोड़ा सा अन्न ले आये । मालूम न था कि यह खाद्य किस
तरह खाया जाता है, फिर भी उनको ग्रहण कर लेना हमारे
लिए आवश्यक था । अब प्रश्न यह उपस्थित हुआ कि इन
सामग्रियों को किस युक्ति से लेना ठीक होगा । क्योंकि
हमें भी उन लोगों के पास जाने का साहस नहीं
होता था और वे लोग भी हमें भय की दृष्टि से
देख रहे थे । आख़िर उन्हीं लोगों ने प्रश्न का समाधान कर
दिया । वे लोग एक दम जल के स्रोत के समीप रख कर
दूर जा खड़े हुए । हम लोग नाव से उतर कर खाने की
वस्तुएँ लेकर फिर नाव पर आ चढ़े । वे लोग किनारे पर जा
खड़े हुए ।
हमने उन लोगों को इशारे से धन्यवाद दिया । कोरा धन्यवाद छोड़ उन लोगों को देने योग्य हमारे पास एक भी वस्तु न थी । किन्तु दैवयेाग से उन लोगों को शीघ्र ही परम प्रसन्न कर देने का अच्छा एक सुयोग हाथ आाया । जब हम किनारे के समीप ठहरे थे तब दो बलवान पशु परस्पर लड़ते हुए पहाड़ से उतर कर नदी की ओर जाने लगे । वे खेल