पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३३
क्रूसो का विपद से छुटकारा ।


हाथ उठाये । कि इन्होंने उसे कैसे मार डाला । वे लेग विस्मित होकर सोचने लगे । फिर उन्होंने हमसे उस बाघ के खाने की अनुमति चाही । हम ने ऐसा संकेत किया मानो बड़ी प्रसन्नता से उसके लिए आज्ञा देते हैं । इससे वे लोग बहुत खुश हुए । वे झटपट उसे काटने लग गये । उन लेागों के पास यद्यपि छुरी न थी तथापि उन लोगों ने एक काठ के बने पैने औज़ार से इतनी आसानी और इतनी शीघ्रता से बाघ की खाल उतार डाली कि हम लोग छुरी से भी वैसा नहीं कर सकते । उन लोगों ने हमको भी कुछ मांस देना चाहा, किन्तु हमने अस्वीकार करके संकेत द्वारा सब मांस उन्हीं लोगों से ले लेने को कहा हमने सिर्फ़ बाघ का चमड़ा माँगा । सो उन लोगों ने बड़ी खुशी से वह हमारे हवाले किया और अपने देश का बना बनाया कुछ खाना भी ला दिया । यद्यपि हमें यह मालूम न था कि वह खाना किस क़िस्म का था तथापि ले लिया; और एक मिट्टी के बर्तन को उलटा कर दिखलाया कि हमारे पास पीने का पानी बिलकुल नहीं है, हमें थोड़ा जल चाहिए । तब हमारे इस संकेत को समझ कर उन लोगों ने किसी को पुकार कर कुछ कहा । थोड़ी देर में दो स्त्रियाँ मिट्टी के बड़े बर्तन में पानी ले आई । वे बिलकुल नंगी थीं पहले की तरह वे लोग उस बर्तन को नीचे रख कर हट गये । हमने इकजूरी को भेज कर अपने तीनों ख़ाली घड़ों को भरवा मँगाया ।

हमारे पास अन्न, फल-मूल और जल इत्यादि सभी वस्तुएँ खाने पीने की जुट गईं । हमने अपने हबशी मित्रों से बिंदाई लेकर प्रस्थान किया । ग्यारह दिन बराबर अग्रसर होने के बाद सामने एक टापू दिखाई दिया । वह टापू जल के बीच नाक की तरह बाहर निकल आया था । उसे घूम कर