बाहर निकल आने पर आगे की ओर समुद्र में और भी टापू
देख पड़े । तब हमने समझा कि कि हम वार्ड अन्तरीप और
वार्ड द्वीप के मध्य में आ गये हैं । तो भी वे दोनों स्थान वहाँ
से बहुत दूर थे । हमको किस तरफ़ जाना चाहिए, इसका
हम निर्णय न कर सकते थे । यह आशंका भी हो रही थी कि
हवा तेज़ हो जायगी तो दो स्थानों में कहीं भी न पहुँच
सकेंगे ।
इस तरह चिन्ता से व्याकुल होकर हम कमरे के भीतर जा बैठे । इकजूरी नाव खे रहा था । वह एकाएक ज़ोर से चिल्ला उठा –‘महाशय, महाशय, एक पालवाला जहाज !" उसके पुराने मालिक का कोई जहाज हम लेागों पर धावा करने आ रहा है, यह समझ कर वह अत्यन्त डर गया । किन्तु हमको डर न लगा, क्योंकि हम जानते थे कि उन लोगों की सीमा से अब हम बाहर निकल आये हैं । हम फुरती से कमरे के बाहर आये और देखते ही समझ गये कि वह पोर्तुगीजों का जहाज है । हमने अनुमान किया कि वह हबशियों को लाने के लिए गिनी-उपकूल में जा रहा है । किन्तु कुछ ही देर में हमारा यह अनुमान गलत निकला । जहाज़ किनारे की तरफ न आकर समुद्र की ही ओर जाने लगा । तब हमने उन लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की इच्छा से समुद्र की ओर नाव को छोड़ दिया ।
जहाँ तक संभव था, पाल तान देने पर भी हम ने देखा कि उनकी दृष्टि का आकर्षण संकेत द्वारा करने के पहले ही वे लोग बहुत दूर चले जायेंगे । हम हताश हो रहे थे । इसी समय देखा कि वे लोग पाल गिरा कर हमारे लिए अपेक्षा कर रहे हैं । वे कदाचित् दूर-वीक्षण यन्त्र लगा कर