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राबिन्सन क्रूसो

बारूद थी । मैंने उसे सौ हिस्सों में बाँट कर पहाड़ के नीचे गढ़ा खोद खोद कर पृथक् पृथक् गाड़ रक्खा और उन सब जगहों पर भली भाँति निशान भी कर दिया, जिस से खोद कर निकालते समय गड़बड़ न हो । मैंने पूरा प्रबन्ध कर दिया जिससे वे बक्स वर्षा के जल में भीग न जायँ । जिस पीपे में पानी घुस जाने से बारूद भीग गया था उसके लिए कोई चिन्ता न थी । उसे पहाड़ की खोह में रख दिया । यह सब करते धरते मेरे पन्दह दिन कट गये ।



क्रूसो की कर्मकारिता

जब मैं किला बना रहा था तब प्रति दिन एक बार काम से छुट्टी पा कर बन्दूक़ हाथ में ले कर यह देखने के लिए बाहर घूमने जाता था कि खाने के कोई उपयुक्त चीज़ मिलती है या नहीं इससे उस द्वीप का परिचय पाने का भी सुयोग मिलता था ।

मैंने देखा कि इस द्वीप में बकरे बहुतायत से हैं; पर वे अत्यन्त डरपोक और बडी फुर्ती से भागते थे । उनके पास तक पहुँचना बड़ा कठिन था । उनको पाकर मुझे पहले जैसा आनन्द हुआ था वैसे ही उनका स्वभाव देख कर हताश होना पड़ा । किन्तु मैंने एकदम आशा नहीं छोड़ी मैं । बराबर उनके पीछे लगा ही रहा । मैंने शीघ्र ही इस बात का पता लगा लिया कि जब वे पहाड़ के ऊपर चरते हैं तब मुझको देखते ही डर के मारे दौड़ कर भाग जाते हैं; परन्तु जब वे पहाड़ की तराई में चरते हैं और मैं पहाड़ पर रहता हूँ तब वे मेरी और बाकते भी नहीं । इससे मैंने समझा कि इन बकरों की