पृष्ठ:रामचंद्रिका सटीक.djvu/१२८

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रामचन्द्रिका सटीक । १२५ | समूह औ केशरी नाम वानर हनुमानके पिता तिनके गण सैन्य समूह शिवा पार्वती औ भृगाली गजमुख गणेश औ हस्ती आदि और वनजीव आदि पदते गैंडा आदि जानो पर कहे बड़े जे भूत सेवक हैं नंदिकेश्व- रादि नौ कोकिल चन्द्र के चन्द्रमा औ कपूर अर्थ कदली वृक्षनमें कपूर होत है ते कदली जामें बहुत हैं अथवा जल अनेक वाप्यादिकनों भरयो है अर्थ चन्द्रकपरमोर "चन्द्रः कर्पूरकोपिल्यसुधाशुस्वर्णवारिषु इति मेदिनी" दिगवर नग्न दुवौ पक्ष में एकै है अहिराज वासुकी भी बड़े सर्प - तोमरछंद ॥ शिशु सोलसै सँगधाइ । वनमाल ज्यों सुर- राह ॥ अहिराज शोषहि काला बहुशीश शोभनि माल ६ ॥ स्वागताछद ॥ चंद्र मंदाति वासर देखो। भूमिहीन भुवपाल विशेखौ॥ मित्र देखि यह शोभतहै यों । राजसाज बिनु सीतहिं हों ज्यों १० दोहा॥ पतिनी पति बिनु दीन अति पति पतिनी बिनु मंद ॥ चन्द्र विना ज्यों यामिनी ज्यों बिन यामिनि चंद ११ स्वागताछद ॥देखि राम वरषा ऋतु आई। रोमरोम बहुधा दुखदाई ॥ पास पास तमकी छवि छाई। राति दिवस कछु जानि न जाई १२ मंदमंद धुनिसों घन गाजै। तूरतार जनु आवझ बाजें। ठोरठौर चपला चमके यो । इद्र लोक तिय नाचति हैं ज्यों १२ मोटनकछद । सोहें धन श्यामल घोर घनें। मोहें तिनमे बकपांतिन मैं ॥शखा- वलिपी बहुधा जलसों। मानी तिनको उगिले बलसों२४ शोभा पति शक्रशरासन में नानायुति दीसति है घनमें॥ रत्नावलिसी दिविद्धार भनो। वर्षागम बांधिय देव मनो १५ ॥ शिशु पालक धाय जो माता ते अन्य आपनो स्तन दूध पियावति है मौसम विभा राइ कहे विष्णु ते वनमाल पहिरे हैं पर्वत में धनकी IITT TT TU है अर्थ बड़ी वन है बहुशीश सहस्रशिर और बहुत साना स स • दिन में द्युतिहीन चन्द्रमाको देखि रामचन्द्र लक्ष्मण