१६२ रामचन्द्रिका सटीक। | चमुको काहू नीके प्रकारसां सुग्रीवादि वीरनको शुक सारण दूतसों बहुधा बहुत प्रकारसों बताई कहे वतायो रहै अर्थ वर्णन करयो है सो सुलसीकृत रामायण में रावणसों शुक सारण कयो है कि "अस मैं श्रवण सुना दश कधर । पदुम अठारह यूथप बदर" अथवा मा प्रकार शुक सारणको बतायो है सो आगे कवित्तवर्णन है सो रामचम् सिंधुको तरि कहे उत्तरिक लकामें आई है सो भू आकाश में प्रक्ष मेघ सम श्याम शोभित हैं सो मानो फरि हेमतऋतु में वर्षाऋतु लका में भाई है ३६ ॥ दडक । कुंतल ललित नील भृकुटी धनुष नैन कुमुद कटाक्ष बाण सबल सदाई है । सुग्रीव सहित तार अगदादि भूषणन मध्यदेश केशरी सुगजगति भाई है ॥ विग्रहानु- कूल सब लक्षलक्ष ऋक्षबल ऋक्षराजमुखी मुख केशोदास गाई है । रामचन्द्रजू की चमूराज श्रीविभीषण की रावण की मीचु दरकूच चलि आई है १०॥ रामचन्द्र की चमू कैसी है कि कुतल औ ललित औ नील औ भृकुटी औ धनुष औ औ पाणी सबलयी जे वानर हैं ते सदा है जामें अयवा वाणायत इन नामन कारकै युक्त औ सदा सबल कहे बलवान् ऐसे जे वानर ऋक्ष हैं ते हैं जामें भी सुग्रीव सहित है औ तारनामा जे वानर हैं तिन सहित है औ अगदादिक जे भूषण कहे सेनानायक हैं तिनसी युक्त है श्री मध्यदेशनामा औ फेशरीनामा औ सुगज जे वानर हैं तिनकी गति भाई कहे नीकी है जामें औ विग्रहनामा श्री महारानागा ओ अमराजमुरा कहे प्रापरान जे जारपन है त है। मुच को मुखिया जाम पेमा लापला कहे अनेक लस मापन ऋषा पो है लग जाम विभीषणी राज्यश्री कैसी है कि कुराल जे कश है 1 ललिन कहे मुनर औ नील हे ज्याम जाके श्री भृग भनुपमा नानी श्री नयन ई झट को कमलसम जाके श्री पगा है बाणगग नाक मी सरल पहे सुदरता राहिन रादा है अथ जाकी करि पाहू समयमों ग्लानि नशा हाति ' घल गधरमे रूप इनि मेदिनी भी मुष्ट जो ग्रीवा है सो सहित है तार कह गिल मुन्न सा अध मारिन नयन औ श्री कटाक्ष नामा
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