पृष्ठ:रामचंद्रिका सटीक.djvu/१९३

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रामचन्द्रिका सटीक। हौं कुंभकर्णे । सुनो रामसंग्रामको तोहिं बोलों । बढयो गर्व लकाहि माये सो खोलों २४ ॥ लक्ष विधिको जो पक्ष कहे विरोध है तासों अर्थ बड़े विरोध सों अथवा लक्ष विधिको जो पक्ष कहे पल है तासों अर्थ बड़ेवल सों इहां लक्ष शब्द अधिकार्यमों है " पक्षो मासार्द्धके पार्श्वगृहे साध्यविरोधयोः ॥ केशादेः परतो दे बले सखिसहाययोरितिमेदिनी " २१ जे लक्षन ऋक्ष भयसों अतरिक्ष को जातहैं तिन्है बाहके वात वायु सो बैंचिकै भखे खाइहारथो २२ दैछद लो अन्वय एक है खरै कहे खर राक्षसै सूधो निहारा अर्थ क- पिनको सूधो समुझि मारन बेधन करयो सरस्वती उतार्थः ॥ मेरीओर इन सम शत्रु दृष्टिसों न निहारो सूधो कहे कृपादृष्टि सो निहारो अथवा मोको सूधो कहे शत्रभाव रहित आपनो दास निहारो सरस्वती उतार्थः ।। तका में आये ते जो तुम्हारे गर्व घड्यो है ताहि खोलों कहे प्रसिद्ध करों प्राशय कि जब मोको मारिहौ तब तुम्हारो बलादिको जो गर्व है सो सब माणिनमों प्रसिद्ध है है २३ । २४ ॥ उठ्यो केशरी केशरीजोर छायो। बली बालिको पूत लै नील धायो॥ हनूमत सुग्रीव शोमैं सभागे। डसैं डाससे अंग मातगलागे २५ दशग्रीवके बंधु सुग्रीव पायो। चल्यो लेकमें लै भले अकलायो ॥ हनूमंत लातै हत्यौ देह भूल्यो । छुट्यो कर्ण नासाहिले इंद्र फूल्यो २६ सँभाखो घरी एक दुमै मरूकै। फिखो रामही सामुहँ सों गदाले ॥ हनूंमत पूछ सों लाइ लीन्हों । न जान्यों कबै सिंधुमें डारिदीन्हों २७ ॥ केशरी नाम वानर केशरी कहे सिंहके 'जोरसों छायो उठ्यो अर्थ सिंह सम गणि कै शीघ्र चल्यो २५ इन्द्रसम सुप्रीव फूल्यो सुखी भयो २६।२७ ॥ जही कालकेतु सों ताल लीनो । कखो रामजू हस्तपा- दादि दीनो ॥ चल्यो लोटतै घाइवक्लै कुचाली। उड़यो मुड ले वाण ज्यों शुंडमाली २८ तही स्वर्गके दुदभी दीह बाजें। कखो पुष्पकी वृष्टि जैदेव गाजै ॥ दशग्रीव शोक प्रस्थो