पृष्ठ:रामचंद्रिका सटीक.djvu/२६३

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रामचन्द्रिका सटीक । २६३ और मंत्र पुरश्चरणादिसों सिद्ध किये जात हैं औ याके शुद्ध उच्चार सदाही सिद्ध हैं ५ आधो नाम रा अथवा म अधोगति नरक इति पूरे नाम के जपसों वैकुंठ प्राप्त होत है मृत्युलोक में कहा होत है ता लिये फेरि क- हत हैं कि राम ये जे दुवौ अंक वर्ण हैं ते मृत्युलोक स्वर्गलोक दुवौ सुधा- रत हैं मृत्युलोक में यश गौरवादि को लाभ होत है वैकुंठ में देवसुख प्राप्त होत है इत्यर्थः ६ । ७।८।६।१०॥ रामनामके तत्त्वको जानत वेद प्रभाव॥गंगाधर कैधरणि- धर बालमीकि मुनिराव ११ दोधकछंद ॥ सातहु सिंधुन के जल रूरे। तीरथजालनिके पय पूरे॥कंचनके घट वानर लीने । प्राइ गये हरि पानँदभीने १२ दोहा ॥ सकल रत्न- मय मृत्तिका शुभ औषधी अशेष॥ सातदीपके पुष्प फल पल्लव रस सविशेष १३ दोधकछंद ॥ आंगन हीरनको मन मोहै। कुंकुम चंदन चर्चित सोहै ॥ है सरसीसम शोभ प्रकासी। लोचन मान मनोज विलासी १४ दोहा || गजमोतिन युत शोभिजें मरकतमणिके थार ॥ उदकबुंदसों जनु लसत पुरइनिपत्र अपार १५ विशेषकछंद ॥ भांतिन भांतिन भा- जन राजत कौन गने। ठौरहि ठौर रहे जनु फूलि सरोज घने ॥ भूपनके प्रतिबिंब विलोकत रूपरसे । खेलत हैं जल मांझ मनोजलदेव बसे १६ पद्धटिकाछंद ॥ मृगमद मिलि कुंकुम सुरभि नीर घनसार सहित अंबर उशीर ॥घसि के- सरिसों बहु विविध नीर । क्षिति छिरके चरथावर शरीर १७ बहुवर्ण फूल फल दल उदार । तहँ भरि राखे भाजन अपार ॥ तहँ पुष्प वृक्ष शोभै अनेक । मणिवृक्ष स्वर्ण के वृक्ष एक १८ त्यहि उपर रच्यो एकै बितान । दिवि देखत देवनके विमान | दुहुँ लोक होत पूजाविधान । अरु नृत्य गीत वादित्र गान १६ ॥