२६२ रामचन्द्रिका सटीक । बोले प्रयोग यत्र शत्रुघ्न भरतसों कह्यो कि चुप क्यों नहीं है रहते अर्थ राज्याभिषेक तौ रामचन्द्र अंगीकार करयो है तौ हैई जो ऋषिराज कह्यो है कि “ सबको साधन एक जग राम तिहारो नाम ता रामनाम को तत्त्व ऋषिसों गहौ अर्थ सुनिकै धारण करौ २॥ राम ॥ श्रद्धा बहुधा उरानि भई । ब्रह्मा सुतसों बिनती बिनई ॥ श्रीरामको नाम कहौ रुचिकै। मतिमान महा मनकों शुचिकै ३ वशिष्ठ-स्वागताछंद ॥ चित्तमांझ जब पानि अ. रूझी। बात तात कहँ में यह बूझी ॥ योग याग करि जाहि न आवै । स्नान दान विधि मर्म न पावै ॥ है अशक्त सब भांति विचारो। कौन भांति प्रभु ताहि उधारो ४ ॥ शत्रुघ्न के उर में बड़ी श्रद्धा भई ३ अरूझी अर्थ संदेह भई तात ब्रह्मा मर्म सिद्धांत ४॥ ब्रह्मा-भुजंगप्रयातछंद ॥ जहीं सच्चिदानंदरूपै धरेंगे। सुत्रैलोक्यको ताप तीनों हरेंगे। कहैगो सबै नाम श्रीराम ताको । सदा सिद्ध है शुद्ध उच्चार जाको ५ कहै नाम प्राधो सो आयो नशावै । कहै नाम पूरो सो वैकुंठ पावै ॥ सुधारें दुहूं लोकको वर्ण दोऊ । हिये छद्म छाँडै कहै वर्ण कोऊ ६ सुनावै सुनै साधुसंगी कहावै । कहावै कहै पाप पुंजै नशावै॥ स्मरावै स्मरै वासना जारि डारे । तजै छद्मको देवलोकै सि- धारै ७ तामरसछंद ॥ जब सब वेद पुराण नशैहैं । जप तप तीरथहू मिटिजैहैं ॥ द्विज सुरभी नहिं कोउ विचारै । तब जग केवल नाम उधारै ८ दोहा॥ मरणकाल काशीविषे महादेव निजधाम॥जीवनको उपदेशि हैं रामचन्द्रको नाम ह मरण काल कोऊ कहै पापी होइ पुनीत ॥ सुखही हरिपुर जाइहै सब जग गावै गीत १०॥
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