पृष्ठ:रामचंद्रिका सटीक.djvu/९६

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६२ रामचन्द्रिका सटीक। | चिह्न है जाके भो तोहूँको मृगनयनी कहत हैं श्रौ वह सुधाधर है सुधा अमृतको धरे है औ तु सुधाधर है सुधासम हैं अपर पोष्ट जाके औ वह द्विजराज कहावत है तरे द्विज जे देत है तिनकी राजि कह पंगति राजति है औ वह षोड़शफलन को निधि है औ तुहूं अनेक जे नेत्र विक्षेपादि कला है अथवा चौसठिकला तिनसों कलित है औ वह रत्नाकर जो समुद्र है ताको प्रकाशकर को बढ़ावनहार है पूर्णमासी के चन्द्रमा के उदय सो समुद्र पाढ़त है प्रसिद्ध है औ तू भूषणन के रत्ननको जो भाकर समूह है ताको प्रकाश शोभा करती है अर्थ तेरी छविसों भूषणन के रत्न शोभा पावत हैं श्री चन्द्र को अबर आकाश में विलास है सीता को अवर वस्त्र में श्री चन्द्रमा कुवलयको हित है श्री सीता कुवलय कहे पृथ्वीमंडलको हित करे अतिमिय लागति है अर्थ सौंदर्यादिक गुण सो तामें ऐसे हैं जासों सबको प्रिय है औं वाके चन्द्रमा के अति शीत हैं कर कई किरण औ हे सीता तुई शीतकर है जो तो को देखत हैं ताके लोचन शीतल होत है तो जौन जौन चिट गुण चन्द्रमामों हैं ते तोहूं में हैं यावे हे चन्द्र मुखी ! सब जग कारकै तोको चन्द्रमा सम जानियत है अर्थ संघ जग तोको चन्द्रमासम जानत है ४१॥ अन्यच्च ॥ कलितकलङ्ककेतु केतुअरि सेतु गात भोग योग को अयोग रोगही को थलसों । पून्योई को, पूरन पै प्रतिदिन दूनो दूनो क्षणक्षण क्षीण होत छीलरकी जल सों। चन्द्र सों जो बरणत रामचन्द्रकी दोहाई सोई मति- मन्द कविकेशव कुशलसों । सुदर सुवास अरु कोमल भ- मलअति सीताजूको मुख सखि केवल कमलसौ ४२ ॥ दूसरी स्त्री ताको मत खंडिकै आफ्नो मत कति है कलंक की जो केतु, कहे पताका है अर्थ पताका सम'जाको कला प्रसिद्ध है श्री केनुको अरि मात्र हो पर दाता TATHI मोपामाईन मा नाम FAIRIT HIT भण पणा हा सारा