पृष्ठ:रामचरितमानस.pdf/२३

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छप गई। छप गई। छप गई। हिन्दी संसार में एकदम नवीन झलक DCSODOC (अथवा) सन्तति विज्ञान हिन्दी साहित्य की उत्कृष्ट लोक-प्रिय पुस्तक हमारे कार्यालय से, प्रकाशित होगई है । इसमें लेखक ने गृहस्थाश्रम में रहते हुये सन्तानोत्पादन विषय पर आलोचना करते हुये एक अपूर्व झलक दिखलाई है। कहीं २ पर साधारण बातों को लक्ष करके ऋषिवाक्यों द्वारा पढ़नेपाले महानुभावों पर उनके सूत्रों का अच्छा भाव दिखलाने का प्रयत्न किया है । सन्तति शास्त्र तथा कोकशास्त्र से कितना घनिष्ट सम्पर्क है-(प्राचीन अपियों ने स्त्रियों के कामदेव की गति का ज्ञान पयों फर प्राप्त किया था,) कोकशास्त्र से संयन्ध रखने वाली गुप्त बातों का दिग्दर्शन भली भाँति कराया गया है। पुस्तक की छपाई सफाई के विपय में हम श्राप से कुछ नहीं कहना चाहते । ऐसी उपादेय पुस्तक में सवा दो सौ पृष्ट होते हुये भी अधिक प्रचार के कारण मूल्य लागत. मात्र केवल Jही रखा गया है पुस्तक समी के काम को वस्तु है। धड़ाधड़ मांगें पा रही हैं। जिसकी खोज आप वर्षों से कर रहे थे वह अब अल्प समय में ही आपके हाथों में रहेगी। अस्तु हमारा श्राप से अनुरोध है कि आप इसे तुरन्त भंगा ले अन्यथा दूसरे संस्करण के लिये आपको घाट देखनी पड़ेगा। भाषा ऐसी मनोहर है कि देखते ही यन पड़ता है। यदि सत्य ही उक्त वातों के जानने की आपको इच्छा है, तो आप अाज ही एक कार्ड हमें लिख दीजिये ताकि हम पुस्तक भेज कर. आप की मनोनीति इच्छा पूर्ण करने में समर्थ हो.सके। पता- मनजर, बेलवेडियर प्रेस, प्रयाग।