पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/३९१

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३६० . अचाटना : है सिय रघुबीर बिबाहु जे सप्रेम गावहिं सुनहिं ।। एम् sell तिन कहुँ सदा उछाहु मंगलायतन राम जसु।३६१। | सीता और रामचन्द्रजी के विवाह को जो प्रेम के साथ गायेंगे और सुनेंगे, के उनको सदा आनन्द है, क्योंकि राम का यश मंगल का धाम है। । इति श्रीमद्रासचरितमानसे सकलकलिकलुषविध्वंसने । प्रथमः सोपालः समाप्तः । कलियुग के समस्त पापों को विध्वंस करने वाले श्रीमद्रामचरितमानस का * यह पहली सोपान समाप्त हुआ। | ( बाल-कांड समाप्त )












________________________________________________________________ १. मंगलों का धाम ।