पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/१०४

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काग्रेसके सामने सवाल '६१ उपयोग कर सके, काग्नेस किसी ऐसे रचनात्मक कार्यक्रमको देशके सामने प्रोग्रामके तौरपर रख सके और हमारे नेताअोके विचार इस विपयमे स्पष्ट हो। इसके विना न तो काग्रेस को और न तो काग्रेस-सरकारको ही सफता मिल सकेगी, उल्टे वे अपना प्रभाव खो वैठेगे। हमारे सामने आनेवाले आर्थिक प्रश्न दिन-प्रति-दिन गम्भीर होते जाते है और पुरानी सामाजिक व्यवस्था समाजकी अधिकाश जनताके जीवनको असम्भव बनाये दे रही है । इस समय यदि काग्रेस देशकी समस्यानोको हल करनेका दावा करती है तो उसके लिए आवश्यक है कि एक नयी सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाका आदर्श छटपटाती हुई जनताके सामने रखे । पुरानी सामाजिक व्यवस्था जो कि अनुपयुक्त हो चुकी है यदि कांग्रेस उसीकी लीपापोतीमे लगी रहेगी, तो वह भी उस पुरानी व्यवस्थाकी ही तरह अनुपयुक्त हो जायगी । उसका नेतृत्व समाप्त हो जायगा । अव केवल जेलखाने भर देनेकी नीतिसे ही काम नहीं चलेगा । जहाँ हमारा आन्दोलन पहुँच चुका है उससे आगे वह तभी वढ सकेगा जब हम जनताके जीवनको असम्भव बना देनेवाले प्रश्नोको हाथमे लेगे । हमे समाजमे मौजूदा श्रेणियोकी स्थिति और मौजूदा व्यवस्थामे उनके हितोके विरोधको समझकर उनका उपाय करना होगा और इस दृष्टिसे ही आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रमे जनताका राज्य कायम करनेका कार्यक्रम लेकर चलना होगा। यदि हम जनताकी शक्तिके वलपर साम्राज्यवादसे रिआयते ऐठकर उससे समझौता करना चाहते है तो एक बात है । उसके लिए हमारा मौजूदा कार्यक्रम ठीक हो सकता है, परन्तु यदि वास्तविक पूर्ण स्वतन्त्रता हमारा लक्ष्य है तो हमे जनताके हाथमे शक्ति देने और उसे अपनी आर्थिक समस्याएँ हल करनेका अधिकार देना होगा। समयकी मॉग हमने शिक्षाके क्षेत्रमे एक कार्यक्रमकी बुनियाद रखी है। इसी प्रकार हमे आर्थिक क्षेत्रमे भी एक मौलिक और साहसपूर्ण परिवर्तनकी बुनियाद रखनी होगी। हमारे उद्योग व्यवसाय किस प्रकार चलेगे, उनकी व्यवस्था और सगठन किस प्रकार होना चाहिये कि मेहनत करनेवाली जनता अपने परिश्रमका पूरा फल पा सके और उत्पत्ति (पैदावार) के साधनोपर उसका अधिकार रहे, किस प्रकार जनतामे प्रत्येक व्यक्तिको एक बरावर आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक अधिकार होगे, किस प्रकार जनताकी सभी श्रेणियोके व्यक्तियोको सभी क्षेत्रोमे जीविका प्राप्त करने, उन्नति और विकास करनेका समान अधिकार होगा । सक्षेपमे कहा जा सकता है कि हम समाजका सगठन किस प्रकार एक ऐसे आदर्शपर कर सकेगे जिसमे बेकारी, भूख, शोपण अत्याचार आदि नही होगे । ये है वास्तविक प्रश्न जिनका सम्बन्ध देशकी जनताके जीवनसे है और जिन्हे हल करनेकी ओर कांग्रेसको कदम वढाना चाहिये । यदि काग्रेस इन प्रश्नोको हाथमे लेनेसे कतरायेगी तो उसका अन्त हो जायगा। आज हम काग्रेसको अपने आन्दोलनके मार्गमे उस मजिलपर खड़ा पाते है जहाँ