पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/१५७

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१४४ राष्ट्रीयता और समाजवाद विरोधी दो गेमोंमेंगे एक पेगेकी पोर बढते जा है । नाही ना भी हम बड़ी जीय साथ इजलेण्टकी प्रतिक्रियावादी परगाद नीनिक गाय अपनगी कायार कर रहे है। अभीतक किसीने यह नहीं बताया कि इन तरहके गठवन्धनलागतमा नाम होगा ? एक बात तो हमें साफ दिखायी दे रही है कि हमारे देशवागियांग गाथ प्रिटिंग गष्ट्रमण्डल- के देशोमें बराबरीका वर्ताव नहीं हो रहा है। भारत सरकारको नीति न गमाननादी है और न गयादी । गाग्रोने हमें धोखा दिया है। हमें उम्मीद करनी चाहिये कि देशको जनता जागेगी पोरग गयकार भूलको मुधारेगी। इस समझीनेमे ब्रिटेन नबने बचा हिवारी और बिटिग यारमा उपनाना प्रतीक है । यद्यपि मजदूर गरकार अपने दाने गमानवादी नीति अख्तियारमय है, लेकिन उनकी विदेश नीति मात्राज्यवादी पीर प्रतिभियावादी है। प्रतिदिन ब्रिटेन ऐग्लो-अमेरिकी गुटका एक प्रमुग गदम्य है और प्रादेशिका तथा न्यजोन अपनी सुरक्षाके लिए उगमे सहयोग कर गरे । उगगी पतंगान निदेगी नीति ननिनकी नीतिका ही अश है । वह प्रगतिशील शक्तियां विसहर जगह गजानो, मागतो और पुराने रईमोका समर्थन कर रहा है। मनायामें वह अपने मात्राज्यवादी हितोती रक्षा कर रहा है और अन्य देशोमे यूरोपीय गणितयोफ मायान्यवादी दावोगी हिमायन कर रहा है। इसके अलावा एक बात यह भी है कि कामनवेल्यये उन गल्योगाय भान्तका किसी प्रथमे नाम्य नहीं है, उनकी टीक जगह तो रामनवेल्थके बाहरी होती। फागन- वेत्थके पुराने सदस्य तो ब्रिटिग वादगाह के प्रति गमभक्ति पाने के लिए जातीयता, परम्परा, सस्कृति और रक्त-सम्बन्धके कारण वाध्य थे। केवल 'ब्रिटिग' नाम हटा देनेने ही कामनवेन्यो अगली स्वरूपमे अन्तर नही पा जाता । या तो हम यह मान ले कि कामनवेल्थ कुछ राज्योंका टीलाटाला मंगटन है, जिसके पीछे उद्देश्योकी को एकता नही ऐनी हालतमे उनकी मदम्यतास हमारा क्या लाम होगा ? या अगर हम माने कि इस संगठन के पीछे एक नामाजिक और ग्राथिक नीति है, तो उस हालतमे हमें यह देखना पडेगा कि हमारे लक्ष्यका मेल बैठना है या नहीं। यह माफ है कि जिन लोगोने दोनो गुटोमे किसी एकके माथ गठबन्धन कर लिया, उनसे विश्वमें गान्ति-रक्षा करनेकी आशा नहीं की जा सकती। जो लोग तटत्यताकी नीति अपनाये हुए है, जैसा कि हमलोग, उनको इन गुटोने कतई अलग रहना चाहिये । कामनवेल्थके साथ हमारे सम्बन्धोकी प्रतिक्रिया स्मपर अवश्य पढ़ेगी । सोवियत प्रेस तो पहलेसे ही हमारा विरोधी था, अब इस घटनासे तो उसे एक बहाना मिल जायगा। यद्यपि मैं सोवियत रूसको परराष्ट्र नीतिकी कई वातोंसे सहमत नही हूँ, तो भी मैं यह कहनको तैयार नही हूँ कि सोवियत रूस खामखाह लड़ाई करना चाहता है और उसका