पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/१९२

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युद्ध और जनता १७६ हमारी नीति खैर कम्युनिस्ट जो भी सोचे या करे, हमारा रास्ता साफ है । हम आजादी चाहते है । हम साम्राज्यवाद और फासिज्म दोनोके विरोधी है । हम चाहते है कि जनतामें आक्रमणकारीके विरोधका भाव जगे। हमको किसी राष्ट्रका आक्रमण वर्दाश्त नहीं हो सकता । हम सब नयी व्यवस्थाप्रोकी हकीकतको समझते है । हम यह भी जानते है कि कोई भी राष्ट्र दूसरेको मुक्त करनेके लिए आत्मबलिदान नही करता है । हम जापानको सचेत कर देना चाहते है कि वह यह न समझे कि हम भारतवासी उसका स्वागत करेंगे । हम गुलाम है जरूर-पर एक गुलामीके बदले दूसरी गुलामीको अोढनेको तैयार नहीं है । हम हर आक्रमणकारीका मुकाबला करेगे । हमारे पास जो अस्त्र है उन्हीका प्रयोग हम कर सकते है । असहयोग ही हमारा अस्त्र है । इसका प्रयोग हम वीस सालसे कर रहे है। भारतकी मिट्टी और आबोहवासे वेवसीकी हालतमे यह अस्त्र पैदा हुआ है । यह जनताका युद्ध कैसे बनेगा ? यदि इस युद्धमे कम्युनिस्ट जनताका हार्दिक सहयोग प्राप्त करना चाहते है तो उनको नीचे लिखी शर्तोको गवर्नमेण्टसे पूरा कराना चाहिये । इन शर्तोके पूरा हुए विना जनताका सहयोग नहीं मिल सकता :- ( १ ) जनताको यह अनुभव होना चाहिये कि देश स्वतन्त्र हो गया है और उसको अपने देशकी रक्षा करनी है। यह कार्य भविप्यके वादोसे नही हो सकता और न वायसराय- की काउन्सिलके भारतीय करनेसे । यहाँका प्रत्येक अधिवासी और सामान्यजन जव अपनेको स्वतन्त्र समझे तभी समझना चाहिये कि देश स्वतन्त्र हुआ। (२) सामाजिक कानूनका बनना जिससे यहाँके किसानो, मजदूरो तथा निम्नश्रेणीके लोगोकी वेकारी और गरीबी दूर हो । वर्तमान युगमे इन शर्तोका पूरा होना युद्धमे सहयोग प्राप्त करनेके लिए जरूरी है। जनता १९ वी शताव्दीकी जनताकी तरह निश्चेप्ट और उदासीन नही है । वह जानना चाहती है कि युद्ध क्यो लडा जा रहा है और उससे उसका क्या सम्बन्ध है । वह जानना चाहती है कि युद्ध पूंजीपतियोके लाभके लिए लड़ा जा रहा है या वह जनताके हितमे है । वह यह भी जानना चाहती है कि युद्धके लिए पूंजीपति भी त्यागके लिए तैयार है या केवल उसीसे त्याग करनेको कहा जाता है। पिछले युद्धका अनुभव उसके सामने है । उस वार भी कहा गया था कि यह युद्ध लोकतन्त्रको रक्षा और स्वतन्त्रताके लिए है। किन्तु हुअा कुछ नही । इसलिए जनता सतर्क है और जानना चाहती है कि इस बार भी पिछली वारकी तरह कही धोखा तो नही दिया जाता है । वह यह भी आश्वासन चाहती है कि नयी व्यवस्था ऐसी होनी चाहिये जिसमे युद्ध सम्भव न हो । फ्रासमे जब पोलैण्डकी रक्षाके लिए युद्ध घोषित किया गया और जगह जगह पोस्टर चिपकाये गये जिसमे लिखा था-'स्वतन्त्रता खतरेमे है, पूरी ताकत लगाकर उसकी रक्षा करो" तव लोग पूछते देखे गये कि पोलैण्डपर आक्रमण और