पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/२००

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समाजवादी क्रान्तिकी रूपरेखा १८७ देशको अपना देश समझे और देशकी रक्षा के लिए पूरी शक्ति और दृढताके साथ प्रयत्न करे । यह हम स्वतन्त्रता तथा समाजवादकी बुनियादपर ही कर सकते है । स्वतन्त्रता तथा समाजवाद हमारे लिए दूरकी वस्तु न होकर तात्कालिक कार्यक्रमके रूपमे आ रहे है। इन्ही आदर्शोको सदा अपने समक्ष रखकर हम आजकी अवस्थामे अपना कर्त्तव्य निर्धारित कर सकते है। आजकी अवस्था में काग्रेसने आत्मनिर्भरता तथा आत्मरक्षाका कार्यक्रम देशके सामने रखा है और अपनी स्वयसेवक सेना भी वह फिरसे तैयार कर रही है। काग्रेसने यह भी तय किया है कि वह देशपर होनेवाले सभी प्रकारके आक्रमणोका सामना अहिंसात्मक असहयोगके सहारे करेगी। इस अस्त्रका प्रयोग वह ब्रिटिश हुकूमतके खिलाफ अभी नही करना चाहती। कारण यह है कि इससे तत्काल जापानियोका हौसला बढेगा और हिन्दुस्तानपर आक्रमण करनेका ख्याल उनके दिलोमे जोर पकड सकता है। ससारकी स्वतन्त्रता और शान्तिके ख्यालसे काग्रेस अभीतक ब्रिटिश हुकूमतसे झगड़ा बचाती रही है। काग्रेसने इस मामलेमें बहुत धैर्य से काम लिया है। मगर इस धैर्यका नाजायज फायदा उठाया जा रहा है । लोग अब भी यह नही समझ पाये है कि आजका हिन्दुस्तान साम्राज्यवादी व्यवस्था वर्दाश्त करनेको अव विलकुल तैयार नही है । इसके रहते-रहते तो हमारे किसी मसलेका हल नहीं निकल सकता, वहुत कुछ अडचन ही पैदा हो जाती है । युद्ध-सम्बन्धी समस्याएँ भी और जटिल रूप धारण कर लेती है; उन्हे सुलझाना मुश्किल हो जाता है। अपनी तात्कालिक समस्याग्रोको सुलझानेके लिए हमे अपने पैरोंपर खडा होना चाहिये । इसका तरीका काग्रेसने बताया है। हमे उत्साह तथा दृढताके साथ काग्रेससे मिलकर काम करना चाहिये। देशमे ऐसा सगठन तथा शक्ति उत्पन्न करनी चाहिये जिससे कि भविष्यकी विपत्तियोका हम सफलतासे सामना कर सके । इसमे काग्रेस सभीके सहयोगकी आशा रखती है और उसे यह सहयोग मिलना चाहिये। आज हमे पूरी एकतासे काम करना है । कम्युनिस्ट ही नही, श्री राजगोपालाचारीकी तरह वयोवृद्ध नेता भी, वुद्धिभेद तथा फूट पैदा करनेमे लगे हुए है । इसका प्रतिकार करना है और राष्ट्रीय शक्तिकी सृष्टि तथा रक्षा करनी है । । समाजवादी क्रान्तिकी रूपरेखा हमको यह समझ लेना चाहिये कि अब समय आ गया है कि हम प्रचारके स्तरसे ऊपर उठे । इसमे सन्देह नही कि काग्रेससे मजदूर और विद्यार्थियोमे काम करनेका महत्त्व हमारे कारण हुआ है। यह भी निर्विवाद है कि किसानोमे आर्थिक आधारपर काम करनेकी प्रवृत्ति काग्रेसमे हमारे कारण हुई है। यदि हम कहे कि हमारी पार्टीको नीति और कार्यक्रमका यह फल है कि अगस्त सन् ४२ मे काग्रेसने किसान-मजदूर राज्यको